Wednesday 24 September 2014

Hearty congratulations & best wishes to ISRO Team on Mangalyaan's success

ISRO( ईसरो) के वैज्ञानिको को समस्त भारतवासियो की तरफ से बधाई हो


ISRO MOM (Mars Orbiter Mission )

इंडियन स्‍पेस रिसर्च आॅर्गनाइजेशन के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक बना गया। इसके द्वारा भेजा गया यान 65 करोड़ किमी का सफर करके मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित हो गया। भारत पहली ही कोशिश में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। दुनिया का कोई दूसरा देश पहली कोशिश में मंगल ग्रह पर भेजे मिशन में कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है। अमेरिका तक की पहली 6 कोशिशें नाकाम रही हैं। इस मंगलयान की मदद से इसरो के वैज्ञानिक मंगल के वातावरण का अध्‍ययन कर सकेंगे। भविष्‍य में मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले मान‍व मिशन के लिए यह बेहद जरूरी है। मंगलयान की मदद से ग्रह की सतह और वहां मौजूद मिनरल्‍स का अध्‍ययन भी किया जाएगा। इसके अलावा, ग्रह पर पानी और मीथेन की मौजूूदगी की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा। पानी और मीथेन जीवन की संभावना स्‍थापित करने के लिए जरूरी है। बता दें कि मार्स ऑर्बिटर मिशन या मंगलयान को 1 दिसंबर को सतीश धवन स्‍पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्‍च किया गया था।

ऐसे हुआ मंगल फतह
मंगल की कक्षा में प्रवेश से पहले मंगलयान की गति कम कर दी गई थी। इसके साथ ही मंगलयान का रास्ता भी थोड़ा बदला गया। मंगल ग्रह की कक्षा में दाखिल होने से तीन घंटे पहले इसरो का यान कई अहम प्रक्रियाओं से गुजरा। इन प्रक्र‍ियाओं को पूरा करने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने सारे कमांड 14 और 15 सितंबर को ही कम्‍प्‍यूटर में अपलोड कर दिए थे।

जानें, क्‍या हैं वह प्रक्रियाएं और कितने बजे क्‍या हुआ

4:17:32
यान में लगा शक्‍त‍िशाली कम्‍युनिकेशन एंटीना शुरू हुआ।

6:56:32
स्‍पेसक्राफ्ट में फॉरवर्ड रोटेशन शुरू हुआ।

7:12:19
स्‍पेसक्राफ्ट ने मंगल ग्रह की छाया में प्रवेश किया।

7:14: 32
यान में ऊंचाई को कंट्रोल करने के लिए थ्रस्‍टर्स फायर किए गए।

7:17:32
मुख्य इंजन चालू हुआ।

7:21:50
मंगल ग्रह के बीच में आने की वजह से स्‍पेसक्राफ्ट दिखना बंद हो गया। साथ में यान से सिग्‍नल मिलने भी बंद।

7:22:32
यान का कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम पूरी तरह बंद।

7:30:02
इंजन के चालू होने की पुष्टि हुई।

7:37:01
मंगल ग्रह की छाया से बाहर निकला यान।

7:41:46
इंजन बंद हुआ। (करीब 249.5 किलो फ्यूल जलने के बाद)

7:45:10
सभी प्रक्रियाएं पूरी।

7:47:46
यान से दोबारा संपर्क कायम हुआ।




                                           Mars Orbiter Mission क्‍या है मिशन

मंगल ग्रह की परिधि में 1350 किलो वजन वाले यान को स्‍थापित करना। इसके बाद ग्रह की सतह और वहां मिनरल्‍स का अध्‍ययन किया जाएगा। भविष्‍य में मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन शुरू करने के लिए भी जानकारी जुटाई जाएगी। वहां के वातावरण में मीथेन की मौजूदगी का अध्‍ययन किया जाएगा। यान को 1 दिसंबर को सतीश धवन स्‍पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्‍च किया गया था।

क्‍या है लागत

मिशन की लागत करीब‍ 400 करोड़ रुपए है। हाल ही में इसरो के एक लॉन्‍च कार्यक्रम में शामिल हुए पीएम मोदी ने कहा था कि हमारे मंगल मिशन की लागत हॉलीवुड फिल्‍म 'ग्रैविटी' को बनाने में आए खर्च से भी कम है। बता दें कि 'ग्रैविटी' फिल्‍म को बनाने में करीब 600 करोड़ रुपए का खर्च आया था। वहीं, अमेरिकी मंगल मिशन मैवेन की बात करें तो इसमें 4 हजार करोड़ से ज्‍यादा का खर्च आया है।

और कितने देशों ने शुरू किए मंगल मिशन

अभी तक मंगल ग्रह को लेकर 51 मिशन शुरू किए जा चुके हैं। हालांकि, इस संख्‍या में भारत के नासा के हालिया मिशन को शामिल नहीं किया गया है। इनमें से सिर्फ 26 ही कामयाब हुए हैं। मंगल ग्रह के लिए पहला सफल मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा का मरीनर 9 था। यह यान मंगल की कक्षा में 13 नवंबर, 1971 को दाखिल हुआ था। आखिरी सफल मिशन का श्रेय भी नासा को है। यह उपलब्‍धि‍ उसे 2006 में मिली। मंगल के असफल मिशनों की बात करें, तो सबसे हालिया वाकया नवंबर 2011 में हुआ। चीनी यान यिंगहुओ-1 पृथ्‍वी के वातावरण से बाहर जाने में ही कामयाब नहीं हो सका।


Friday 5 September 2014

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan)

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( ५ सितम्बर १८८८ – १७ अप्रैल १९७५) भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (१९५२ - १९६२) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। उनका जन्म दक्षिण भारत के तिरुत्तनि स्थान में हुआ था जो चेन्नई से ६४ किमी उत्तर-पूर्व में है। उनका जन्मदिन (५ सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् १९५४ में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।

संक्षिप्त परिचयवृत्त

सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओतप्रोत एक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक, उत्कृष्ट वक्ता और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। वे स्वतन्त्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। इससे पूर्व वे उपराष्ट्रपति भी रहे। राजनीति में आने से पूर्व उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण ४० वर्ष शिक्षक के रूप में व्यतीत किये थे। उनमें एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण मौजूद थे। उन्होंने अपना जन्म दिन अपने व्यक्तिगत नाम से नहीं अपितु सम्पूर्ण शिक्षक बिरादरी को सम्मानित किये जाने के उद्देश्य से शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा व्यक्त की थी जिसके परिणामस्वरूप आज भी सारे देश में उनका जन्म दिन (5 सितम्बर) को प्रति वर्ष शिक्षक दिवस के नाम से ही मनाया जाता है।

डॉ० राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे। उनकी मान्यता थी कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जाना सम्भव है। इसीलिए समस्त विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबन्धन किया जाना चाहिये। एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि मानव की जाति एक होनी चाहिये। मानव इतिहास का सम्पूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है। यह तभी सम्भव है जब समस्त देशों की नीतियों का आधार विश्व-शान्ति की स्थापना का प्रयत्न करना हो। वे अपनी बुद्धिमतापूर्ण व्याख्याओं, आनन्ददायी अभिव्यक्तियों और हँसाने व गुदगुदाने वाली कहानियों से अपने छात्रों को मन्त्रमुग्ध कर दिया करते थे। वे छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारें। वे जिस विषय को पढ़ाते थे, पढ़ाने के पहले स्वयं उसका अच्छा अध्ययन करते थे। दर्शन जैसे गम्भीर विषय को भी वे अपनी शैली की नवीनता से सरल और रोचक बना देते थे।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयन्ती प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनायी जाती है। इन दिनों जब शिक्षा की गुणात्मकता का ह्रास होता जा रहा है और गुरु-शिष्य सम्बन्धों की पवित्रता को ग्रहण लगता जा रहा है, उनका पुण्य स्मरण फिर एक नयी चेतना पैदा कर सकता है। सन्‌ 1962 में जब वे राष्ट्रपति बने थे, तब कुछ शिष्य और प्रशंसक उनके पास गये और उन्होँने उनसे निवेदन किया कि वे उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा- "मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने से निश्चय ही मैं अपने को गौरवान्वित अनुभव करूँगा।" तबसे आज तक 5 सितम्बर सारे देश में उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. राधाकृष्णन ने जो अमूल्य योगदान दिया वह निश्चय ही अविस्मरणीय रहेगा। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। यद्यपि वे एक जाने-माने विद्वान, शिक्षक, वक्ता, प्रशासक, राजनयिक, देशभक्त और शिक्षा शास्त्री थे, तथापि अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में अनेक उच्च पदों पर काम करते हुए भी वे शिक्षा के क्षेत्र में सतत योगदान करते रहे। उनकी मान्यता थी कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाये तो समाज की अनेक बुराइयों को मिटाया जा सकता है।

डॉ० राधाकृष्णन कहा करते थे कि मात्र जानकारियाँ देना शिक्षा नहीं है। यद्यपि जानकारी का अपना महत्व है और आधुनिक युग में तकनीक की जानकारी महत्वपूर्ण भी है तथापि व्यक्ति के बौद्धिक झुकाव और उसकी लोकतान्त्रिक भावना का भी बड़ा महत्व है। ये बातें व्यक्ति को एक उत्तरदायी नागरिक बनाती हैं। शिक्षा का लक्ष्य है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरन्तर सीखते रहने की प्रवृत्ति। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को ज्ञान और कौशल दोनों प्रदान करती है तथा इनका जीवन में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करती है। करुणा, प्रेम और श्रेष्ठ परम्पराओं का विकास भी शिक्षा के उद्देश्य हैं।

वे कहते थे कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होता और शिक्षा को एक मिशन नहीं मानता तब तक अच्छी शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने अनेक वर्षोँ तक अध्यापन किया। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। उनका कहना था कि शिक्षक उन्हीं लोगों को बनाया जाना चाहिये जो सबसे अधिक बुद्धिमान हों। शिक्षक को मात्र अच्छी तरह अध्यापन करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाना चाहिये अपितु उसे अपने छात्रों का स्नेह और आदर भी अर्जित करना चाहिये। सम्मान शिक्षक होने भर से नहीं मिलता, उसे अर्जित करना पड़ता है।

उनकी मृत्यु १७ अप्रैल १९७५ को हुई थी ।