Saturday 23 May 2015

योग का संक्षिप्त इतिहास (International Yoga Day)



International Yoga Day On December 11, 2014, The 193-member U.N. General Assembly approved by consensus, a resolution establishing June 21 as 'International Day of Yoga'


योग का संक्षिप्त इतिहासः


योग के विज्ञान का जन्म हजारों सालों पहले प्रथम धर्म या विश्वास के पैदा होने से भी बहुत पहले हुआ। योग शिक्षा के अनुसार शिव को प्रथम योगी या आदियोगी और प्रथम गुरु या आदिगुरु के रूप में देखा जाता है। कई हजार साल पहले हिमालय में कांतिसरोवर झील के किनारे पर अदियोगी ने अपने गहरे ज्ञान को पौराणिक सप्तऋिषियों या “सात ऋिषियों" को प्रदान किया। ये ऋषि इस शक्तिशाली योग विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका सहित अनेकों भागों में लग गए। आधुनिक विद्वान हैरान हैं कि पूरे संसार की प्राचीन संस्कृतियों में गहरी समानता है। लेकिन भारत मे योग परम्परा पूरी तरह से विकसित हुई। अगस्त्य सप्तऋषि जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की, ने एक मूल योग जीवन शैली के चारों और इस संस्कृति का निर्माण किया।


योग को व्यापक स्तर पर सिंधु सरस्वती घाटी संभ्याता-2700 ई.पू-के एक “अमिट सांस्कृतिक परिणाम" के रूप में समझा जाता है, और इसने अपने आपको मानवता का भौतिक और आध्यात्मिक विकास करने वाला प्रमाणित किया है। योग के प्रतीक और योग साधना करती हुई आकृतियांे के साथ सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता की मुहरें और जीवाश्म प्राचीन भारत में योग साधना की उपस्थिति की ओर संकेत करते हैं। योग की लोक परम्पराओं, वैदिक और उपनिषद विरासत, बौद्ध और जैन परम्पराओं, दर्शनों, महाकाव्य महाभारत, भागवतगीता और रामायण, शिव भक्ति परम्पराओं, वैष्णव एवं तांत्रिक परम्पराओं में भी विद्यमान है। यद्यपि योग का अभ्यास पूर्व-वैदिक काल में किया जाता था, लेकिन महान ऋषि पतंजलि ने पहले से विद्यमान योग अभ्यासों, इसके अर्थ और इससे संबंधित ज्ञान को पतंजलि योग सूत्र के माध्यम से व्यवस्थित किया।


पतंजलि के बाद बहुत से ऋषियों और योग गुरुओं ने अच्छी तरह से लिखे गए अभ्यासों और साहित्य के माध्यम से इस विषय को संरक्षित करने और इसका विकास करने में महान योगदान दिया। प्राचीन समय से लेकर आज तक प्रमुख योग गुरुओं की शिक्षाओं के माध्यम से योग संसार भर में फैला है। आज हर किसी की धारणा है कि योग अभ्यास बीमारियों से बचाता है, स्वास्थ्य को बनाए रखता है और इसको बढावा देता है। संसार में लाखों लोग योग अभ्यास से लाभ प्राप्त कर चुके हैं और योग प्रतिदिन अधिक से अधिक विकसित होता जार रहा।




अंतरराष्ट्रीय योग दिवस


अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाएगा। जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में रखकर की। जिसके बाद 21 जून को "अंतरराष्ट्रीय योग दिवस" घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को "अंतरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संध में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।

Brief History of Yoga



Brief History of Yoga

The science of Yoga has its origin thousands of years ago, long before the first religion or belief systems were born. According to Yogic lore, Shiva has seen as the first yogi or Ādiyogi and the first guru or Ādiguru. Several thousand years ago, on the banks of lake Kantisarovar in the Himalayas, Ādiyogi poured his profound knowledge into the legendary Saptarishis or "seven sages". These sages carried this powerful Yogic science to different parts of the world including Asia, the Middle East, northern Africa and South America. Interestingly, modern scholars have noted and marvelled at the close parallels found between ancient cultures across the globe. However, it was in India that the Yogic system found its fullest expression. Agastya, the Saptarishi who travelled across the Indian subcontinent, crafted this culture around a core Yogic way of life.


Yoga is widely considered as an "immortal cultural outcome" of the Indus Saraswati Valley Civilisation – dating back to 2700 BC – and has proven itself to cater to both material and spiritual uplift of humanity. A number of seals and fossil remains of Indus Saraswati Valley Civilisation with Yogic motifs and figures performing Yoga sādhana suggest the presence of Yoga in ancient India. The seals and idols of mother Goddess are suggestive of Tantra Yoga. The presence of Yoga is also available in folk traditions, Vedic and Upanishadic heritage, Buddhist and Jain traditions, Darshanas, epics ofMahabharata including Bhagawadgita and Ramayana, theistic traditions of Shaivas, Vaishnavas and Tantric traditions. Though Yoga was being practiced in the pre-Vedic period, the great sage Maharishi Patanjali systematised and codified the then existing Yogic practices, its meaning and its related knowledge through Patanjali's Yoga Sutras.

After Patanjali, many sages and Yoga masters contributed greatly for the preservation and development of the field through well-documented practices and literature. Yoga has spread all over the world by the teachings of eminent Yoga masters from ancient times to the present date. Today, everybody has conviction about Yoga practices towards the prevention of disease, maintenance and promotion of health. Millions and millions of people across the globe have benefitted by the practice of Yoga and the practice of Yoga is blossoming and growing more vibrant with each passing day.



International Yoga Day

On December 11, 2014, The 193-member U.N. General Assembly approved by consensus, a resolution establishing June 21 as 'International Day of Yoga'

Tuesday 12 May 2015

क्या है जीएसटी? Goods and Services Tax (GST)



क्या है जीएसटी? Goods and Services Tax (GST)

वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स ऐंड सर्विसेज़ टैक्स) को संक्षिप्त रूप में जीएसटी कहते हैं.
गुड्स यानी जिन सामानों का इस्तेमाल हम करते हैं, उसमें कोई भी पैकेज्ड खाद्य सामग्री, शराब, सिगरेट पैकेट, मोबाइल हैंडसेट, ट्रक से लेकर कार तक शामिल है.
सेवाओं में हम दूरसंचार सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर 14 प्रतिशत के क़रीब कर लगता है.


यानी जितना कर वस्तुओं पर होगा उतना ही सेवाओं पर भी लगेगा.

क्या हैं फायदे?

इससे कर प्रशासन आसान होगा. भारत में 20 प्रकार के कर लगते हैं और जीएसटी इन करों की जगह ले लेगा.
कर भुगतान हासिल करना आसान होगा. करदाताओं को फायदा मिलेगा. आख़िर में हर चीज़ का करदाता उपभोक्ता होता है.
हम अब भी सेवा कर और उत्पाद शुल्क चुकाते हैं. लेकिन जब कर व्यवस्था सही हो जाएगी तो इससे उपभोक्ताओं को सहूलियत होगी

List of scandals in India (भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास)



भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास




भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास बहुत पुराना है। भारत की आजादी के पूर्व अंग्रंजों ने सुविधाएं प्राप्त करने के लिए भारत के सम्पन्न लोगों को सुविधास्वरूप धन देना प्रारंभ किया। राजे-रजवाड़े और साहूकारों को धन देकर उनसे वे सब प्राप्त कर लेते थे जो उन्हे चाहिए था। अंग्रेज भारत के रईसों को धन देकर अपने ही देश के साथ गद्दारी करने के लिए कहा करते थे और ये रईस ऐसा ही करते थे। यह भ्रष्टाचार वहीं से प्रारम्भ हुआ और तब से आज तक लगातार चलते हुए फल फूल रहा है।

बाबरनामा में उल्लेख है कि कैसे मुट्ठी भर बाहरी हमलावर भारत की सड़कों से गुजरते थे। सड़क के दोनों ओर लाखों की संख्या में खड़े लोग मूकदर्शक बन कर तमाशा देखते थे। बाहरी आक्रमणकारियों ने कहा है कि यह मूकदर्शक बनी भीड़, अगर हमलावरों पर टूट पड़ती, तो भारत के हालात भिन्न होते। इसी तरह पलासी की लड़ाई में एक तरफ़ लाखों की सेना, दूसरी तरफ़ अंगरेजों के साथ मुट्ठी भर सिपाही, पर भारतीय हार गये। एक तरफ़ 50,000 भारतीयों की फ़ौज, दूसरी ओर अंगरेजों के 3000 सिपाही. पर अंगरेज जीते. भारत फ़िर गुलाम हआ. जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा पर ग्यारहवीं शताब्दी में आक्रमण किया, तो क्या हालात थे? खिलजी की सौ से भी कम सिपाहियों की फ़ौज ने नालंदा के दस हजार से अधिक भिक्षुओं को भागने पर मजबूर कर दिया। नालंदा का विश्वप्रसिद्ध पुस्तकालय वषों तक सुलगता रहा।


ब्रिटिश राज और भ्रष्टाचार

भारत को भ्रष्ट बनाने में अंग्रेजो की प्रमुख भूमिका रही है।

स्वतंत्रता-प्राप्ति और लाइसेंस-परमिट राज्य का उदय

द्वितीय विश्वयुद्ध की तबाही के कारण ब्रिटेन सहित पूरे विश्व में आवश्यक सामानों की भारी कमी पैदा हो गयी थी जिससे निपटने के लिये राशनिंग की व्यवस्था शुरू हुई। भारत की आजादी के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था राशनिंग, लाइसेंस, परमिट, लालफीताशाही में जकड़ी रही। लाइसेंस-परमिट राज था, तब भी लाइसेंस या परमिट पाने के लिए व्यापारी और उद्योगपति घूस दिया करते थे।

उदारीकरण और भ्रष्टाचार का खुला खेल

1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की विश्वव्यापी राजनीति-अर्थशास्त्र से जोड़ा गया। तब तक सोवियत संध का साम्यवादी महासंघ के रूप में बिखराव हो चुका था। पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश पूंजीवादी विश्वव्यवस्था के अंग बनने की प्रक्रिया में प्रसव-पीड़ा में गुजर रहे थे। साम्यवादी चीन बाजारोन्मुखी पूंजीवादी औद्योगिकीकरण के रास्ते औद्योगिक विकास का नया मॉडल बन चुका था।

पहले भ्रष्टाचार के लिए परमिट-लाइसेंस राज को दोष दिया जाता था, पर जब से देश में वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण, विदेशीकरण, बाजारीकरण एवं विनियमन की नीतियां आई हैं, तब से घोटालों की बाढ़ आ गई है। इन्हीं के साथ बाजारवाद, भोगवाद, विलासिता तथा उपभोक्ता संस्कृति का भी जबर्दस्त हमला शुरू हुआ है।







आजादी से अब तक देश में काफी बड़े घोटालों का इतिहास रहा है। नीचे भारत में हुए बड़े घोटालों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है-जीप खरीदी (१९४८)

आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से २००० जीपों को सौदा किया। सौदा ८० लाख रुपये का था। लेकिन केवल १५५ जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन १९५५ में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए।साइकिल आयात (१९५१)

तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।मुंध्रा मैस (१९५८)

हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के १.२ करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा।तेजा ऋण

१९६० में एक बिजनेसमैन धर्म तेजा ने एक शिपिंग कंपनी शुरू करने केलिए सरकार से २२ करोड़ रुपये का लोन लिया। लेकिन बाद में धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। उन्हें यूरोप में गिरफ्तार किया गया और छह साल की कैद हुई।पटनायक मामला

१९६५ में उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को इस्तीफा देने केलिए मजबूर किया गया। उन पर अपनी निजी स्वामित्व कंपनी 'कलिंग ट्यूब्स' को एक सरकारी कांट्रेक्ट दिलाने केलिए मदद करने का आरोप था।मारुति घोटाला

मारुति कंपनी बनने से पहले यहां एक घोटाला हुआ जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आया। मामले में पेसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।कुओ ऑयल डील

१९७६ में तेल के गिरते दामों के मददेनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने हांग कांग की एक फर्जी कंपनी से ऑयल डील की। इसमें भारत सरकार को १३ करोड़ का चूना लगा। माना गया इस घपले में इंदिरा और संजय गांधी का भी हाथ है।अंतुले ट्रस्ट

१९८१ में महाराष्ट्र में सीमेंट घोटाला हुआ। तत्कालीन महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एआर अंतुले पर आरोप लगा कि वह लोगों के कल्याण के लिए प्रयोग किए जाने वाला सीमेंट, प्राइवेट बिल्डर्स को दे रहे हैं।एचडीडब्लू दलाली (१९८७)

जर्मनी की पनडुब्बी निर्मित करने वाले कंपनी एचडीडब्लू को काली सूची में डाल दिया गया। मामला था कि उसने २० करोड़ रुपये बैतोर कमिशन दिए हैं। २००५ में केस बंद कर दिया गया। फैसला एचडीडब्लू के पक्ष में रहा।बोफोर्स घोटाला १९८७ में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। मामला था कि भारतीय १५५ मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब ६४ करोड़ रुपये का घपला किया है।सिक्योरिटी स्कैम (हर्षद मेहता कांड)

१९९२ में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंको का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब ५००० करोड़ रुपये का घाटा हुआ।इंडियन बैंक

१९९२ में बैंक से छोटे कॉरपोरेट और एक्सपोटर्स ने बैंक से करीब १३००० करोड़ रुपये उधार लिए। ये धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस वक्त बैंक के चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।चारा घोटाला १९९६ में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशु पालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए ९५० करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।तहलका

इस ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा की गई १५ डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है और इजराइल से की जाने वाली बारक मिसाइल डीलभी इसमें से एक है।स्टॉक मार्केट

स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में १,१५,००० करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर, २००२ में इन्हें गिरफ्तार किया गया।स्टांप पेपर स्कैम

यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।सत्यम घोटाला

२००८ में देश की चौथी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक अध्यक्ष रामलिंगा राजू द्वारा ८००० करोड़ रूपये का घोटाले का मामला सामने आया। राजू ने माना कि पिछले सात वर्षों से उसने कंपनी के खातों में हेरा फेरी की।मनी लांडरिंग

२००९ में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।




बोफर्स घोटाला- ६४ करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - २२ जनवरी १९९०

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

एच.डी. डब्ल्यू सबमरीन- ३२ करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - ५ मार्च १९९०

(सीबीआई ने अब मामला बंद करने की अनुमति मांगी है।)

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(१९८१ में जर्मनी से ४ सबमरीन खरीदने के ४६५ करोड़ रु. इस मामले में १९८७ तक सिर्फ २ सबमरीन आयीं, रक्षा सौदे से जुड़े लोगों द्वारा लगभग ३२ करोड़ रु. की कमीशनखोरी की बात स्पष्ट हुई।)

स्टाक मार्केट घोटाला- ४१०० करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - १९९२ से १९९७ के बीच ७२

सजा - हर्षद मेहता (सजा के १ साल बाद मौत) सहित कुल ४ को

वसूली - शून्य

(हर्षद मेहता द्वारा किए गए इस घोटाले में लुटे बैंकों और निवेशकों की भरपाई करने के लिए सरकार ने ६६२५ करोड़ रुपए दिए, जिसका बोझ भी करदाताओं पर पड़ा।)

एयरबस घोटाला- १२० करोड़ रु.

मामला दर्ज हुआ - ३ मार्च १९९०

सजा - अब तक किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(फ्रांस से बोइंग ७५७ की खरीद का सौदा अभी भी अधर में, पैसा वापस नहीं आया)

चारा घोटाला- ९५० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - १९९६ से अब तक कुल ६४

सजा - सिर्फ एक सरकारी कर्मचारी को

वसूली - शून्य

(इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हालांकि ६ बार जेल जा चुके हैं)

दूरसंचार घोटाला-१२०० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - १९९६

सजा - एक को, वह भी उच्च न्यायालय में अपील के कारण लंबित

वसूली - ५.३६ करोड़ रुपए

(तत्कालीन दूरसंचार मंत्री सुखराम द्वारा किए गए इस घोटाले में छापे के दौरान उनके पास से ५.३६ करोड़ रुपए नगद मिले थे, जो जब्त हैं। पर गाजियाबाद में घर (१.२ करोड़ रु.), आभूषण (लगभग १० करोड़ रुपए) बैंकों में जमा (५ लाख रु.) शिमला और मण्डी में घर सहित सब कुछ वैसा का वैसा ही रहा। सूत्रों के अनुसार सुखराम के पास उनके ज्ञात स्रोतों से ६०० गुना अधिक सम्पत्ति मिली थी।)

यूरिया घोटाला- १३३ करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २६ मई १९९६

सजा - अब तक किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(प्रधानमंत्री नरसिंहराव के करीबी नेशनल फर्टीलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस.रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसे दिए, जो कभी नहीं आया।)

सी.आर.बी- १०३० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २० मई १९९७

सजा - किसी को नहीं

वसूली - शून्य

(चैन रूप भंसाली (सीआरबी) ने १ लाख निवेशकों का लगभग १ हजार ३० करोड़ रु. डुबाया और अब वह न्यायालय में अपील कर स्वयं अपनी पुर्नस्थापना के लिए सरकार से ही पैकेज मांग रहा है।)

केपी- ३२०० करोड़ रुपए

मामला दर्ज हुआ - २००१ में ३ मामले

सजा - अब तक नहीं

वसूली - शून्य

(हर्षद मेहता की तरह केतन पारेख ने बैंकों और स्टाक मार्केट के जरिए निवेशकों को चूना लगाया।)