Wednesday 28 January 2015

सामान्य ज्ञान के कुछ ऐसे तथ्य



सामान्य ज्ञान के कुछ ऐसे तथ्य



1. 9 नवंबर 2014 को बर्लिन की दीवार गिरने की कौन सी वर्षगांठ मनाई गई?
जवाब: 25 वीं वर्षगांठ

2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के किस शहर में महात्मा गांधी की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया?
जवाब: ब्रिसबेन

3. किस राजनेता की जयंती को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में घोषित किया गया?
जवाब: सरदार वल्लभ भाई पटेल

4. 2014 में किस खिलाड़ी को आईसीसी पीपुल्स च्वॉइस अवॉर्ड के लिए चुना गया?
जवाब: भुवनेश्वर कुमार

5. '2014 द इलेक्शन दैट चैंज्ड इंडिया' पुस्तक किस पत्रकार की किताब है?
जवाब: राजदीप सरदेसाई

6. 2014 में किस अभिनेत्री को 'हृदयनाथ मंगेशकर पुरस्कार' प्रदान किया गया?
जवाब: सुलोचना

7. 3 नंवबर 2014 को किस बड़े बॉलीवुड कलाकार का मुंबई में निधन हो गया?
जवाब: सदाशिव अमरापुरकर

8. विश्व का सर्वाधिक शुष्क मरुस्थल कौन- सा है?
जवाब: आटाकामा

9. 12वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन 2014 में कहां किया गया था?
जवाब: म्यांमार

10. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के तहत किस गांव को गोद लिया?
जवाब: जयापुर

11. किस हिन्दी फिल्म को 2014 में ऑस्कर लाइब्रेरी में स्थान दिया गया है?
जवाब: हैप्पी न्यू ईयर

12. भारत और किस देश ने 'बराक-8 मिसाइल' का सफल परीक्षण 10 नवंबर 2014 को किया?
जवाब: यूएसए

13. देश के किस स्थान पर विश्व की सबसे उंची पवन टर्बाइन लगाई गई है?
जवाब: कच्छ (गुजरात)

14. 6 नवंबर 2014 को भारतीय नौसेना का कौन-सा नौसैनिक सहायता पोत दुर्घटनाग्रस्त हो गया?
जवाब: अस्त्रवाहिनी

15. ओडिशा स्थित चिल्का झील को किस संस्था की ओर से डेस्टिनेशन फ्लाई-वे घोषित किया गया?
जवाब: UNWTO

16. मानवरहित मालवाहक अन्तरिक्ष यान 'सिग्नस' प्रक्षेपण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वह किस देश का था?
जवाब: अमेरिका

17. संघ लोक सेवा आयोग का नया अध्यक्ष किसे नियुक्त किया गया है?
जवाब: दीपक गुप्ता

18. 2014 में 'दलीप ट्रॉफी' प्रतियोगिता का खिताब किसने जीता?
जवाब: मध्य क्षेत्र

19. किस देश के खिलाड़ी को 2014 में 'आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर' और 'आईसीसी टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर' चुना गया?
जवाब: मिशेल जॉनसन

20. भारत के किस प्रधानमंत्री को 2014 में जापान के सर्वोच्च सम्मान 'द ग्रांड कॉर्डन ऑफ द पाउलोनिया फ्लावर्स' से सम्मानित किया गया?
जवाब: डॉ. मनमोहन सिंह

1. येलो केक क्या है?
जवाब- यूरेनियम

2. भारतीय रेलवे को कितने जोन में विभाजित किया गया है?
जवाब- 17 जोन

3. शास्त्रीय नृत्य ओडिसी किस राज्य की उपज है?
जवाब- ओडिशा

4. 'रैडक्लिफ रेखा' किन देशों की सीमाओं को विभाजित करती है?
जवाब- भारत-पाकिस्तान

5. संगम साहित्य किस भाषा में रचित है?
जवाब- संस्कृत में

6. सरकारिया आयोग का संबंध है?
जवाब- केन्द्र राज्य संबंध

7. 'भारत का नेपोलियन' किस गुप्त शासक को कहा गया है?
जवाब-; समुद्रगुप्त

8. भाषा के आधार पर गठित भारत का पहला राज्य कौन है?
जवाब- आंध्रप्रदेश

9. एशिया की सबसे बड़ी नदी कौन- सी है?
जवाब- यांगटीसी

10. महाराष्ट्र में सत्य शोधक सभा के संस्थापक कौन थे?
जवाब- ज्योतिबा फूले

11. भारतीय सेना का तोपखाना प्रशिक्षण केंद्र कहां स्थित है?
जवाब- देउलाली

12. 'शिक्षा' को किस सूची के अन्तर्गत रखा गया है?
जवाब- समवर्ती सूची

13. बिम्बिसार कहां का शासक था?
जवाब- मगध

14. कौन-सी गैस चूने के जल को दूधिया कर देती है?
जवाब- कार्बन डाइ ऑक्साइड

15. कंप्यूटर नेटवर्किंग से जुड़ा 'LAN' क्या है?
जवाब- लोकल एरिया नेटवर्क

16. मनुष्य में मलेरिया परजीवी की खोज करने वाले वैज्ञानिक कौन थे?
जवाब- चार्ल्स लैवरॉन

17. भाखड़ा-नांगल बांध किस नदी पर बनी हुई है?
जवाब- सतलज

18. भारत की सबसे बड़ी मानव-निर्मित झील कौन- सी है?
जवाब-गोविंद सागर

19. एक अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में आकाश कैसा दिखता है?
जवाब- काला

20. कादंबरी किसकी रचना है?
जवाब- बाणभट्ट

Friday 23 January 2015

सुभाषचंद्र बोस : संक्षिप्‍त परिचय

सुभाषचंद्र बोस : संक्षिप्‍त परिचय

1987: नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्‍म 23 जनवरी, 1897 को जानकी नाथ बोस और श्रीमती प्रभावती देवी के घर में हुआ था।
1913: उन्‍होंने 1913 में अपनी कॉलेज शिक्षा की शुरुआत की और कलकत्‍ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
1915: सन् 1915 में उन्‍होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण की।
1916: ब्रिटिश प्रोफेसर के साथ दुर्व्‍यवहार के आरोप में निलंबित कर दिया गया।
1917: सुभाषचंद्र ने 1917 में स्‍कॉटिश चर्च कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में प्रवेश लिया।
1919: फिलॉसफी ऑनर्स में प्रथम स्‍थान अर्जित करने के साथ आईसीएस परीक्षा देने के लिए इंग्‍लैण्‍ड रवाना हो गए।
1920: सुभाषचंद्र बोस ने अँग्रेजी में सबसे अधिक अंक के साथ आईसीएस की परीक्षा न केवल उत्‍तीर्ण की, बल्‍कि चौथा स्‍थान भी प्राप्‍त किया।
1920: उन्‍हें कैंब्रिज विश्‍वविद्यालय की प्रतिष्‍ठित डिग्री प्राप्‍त हुई।
1921: अँग्रेजों ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया।1922: 1 अगस्‍त, 1922 को जेल से बाहर आए और देशबंधु चितरंजनदास की अगुवाई में गया काँग्रेस अधिवेशन में स्‍वराज दल में शामिल हो गए।
1923: सन 1923 में वह भारतीय युवक काँग्रेस के अध्‍यक्ष चुने गए। इसके साथ ही बंगाल काँग्रेस के सचिव भी चुने गए। उन्‍होंने देशबंध की स्‍थापित पत्रिका ‘फॉरवर्ड’ का संपादन करना शुरू किया।
1924: स्‍वराज दल को कलकत्‍ता म्‍युनिपल चुनाव में भारी सफलता मिली। देशबंधु मेयर बने और सुभाषचंद्र बोस को मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी मनोनीत किया गया। सुभाष के बढ़ते प्रभाव को अँग्रेजी सरकार बरदाश्‍त नहीं कर सकी और अक्‍टूबर में ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया।
1925: देशबंधु का निधन हो गया।
1927: नेताजी, जवाहरलाल नेहरू के साथ अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के साधारण सचिव चुने गए।
1928: स्‍वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए उन्‍होंने भारतीय काँग्रेस के कलकत्‍ता अधिवेशन के दौरान स्‍वैच्‍छिक संगठन गठित किया। नेताजी इस संगठन के जनरल ऑफिसर इन कमांड चुने गए।
1930: उन्‍हें जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान ही उन्‍होंने कलकत्‍ता के मेयर का चुनाव जीता।
1931: 23 मार्च, 1931 को भगतसिंह को फाँसी दे दी गई, जो कि नेताजी और महात्‍मा गाँधी में मतभेद का कारण बनी।

Friday 16 January 2015

दिल्ली का इतिहास

दिल्ली का इतिहास

इंद्रप्रस्थ में थी पांडवों की राजधानी

दिल्ली का इतिहास महाभारतकाल से शुरू होता है। पुराने किले के पास इंद्रपत नाम का गांव था। माना जाता है कि पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ वहीं थी। इंद्रप्रस्थ की नींव पर ही मुगल शासक हुमायूं ने पुराना किला बनवाया था। नीली छतरी और निगमबोध इलाके में भी इंद्रप्रस्थ से जुड़े कुछ साक्ष्य हैं।

पहला शहर लालकोट जिसे तोमर राजा ने बसाया

दस्तावेजी इतिहास में दिल्ली के बारे में पहला जिक्र 737 ईसवीं में मिलता है। तब राजा अनंगपाल तोमर ने इंद्रप्रस्थ से 10 मील दक्षिण में अनंगपुर बसाया। यहां दिल्ली का गांव था। कुछ बरस बाद उस पर राजा ने लालकोट नगरी बसाई। लेकिन दिल्ली का गांव का नाम चलता रहा। कहा जाता है कि हुमायूं ने बाद में इसी नींव पर पुराना किला बनवाया। 1180 में चौहान राजा पृथ्वीराज तृतीय ने किला राय पिथौरा बनाया। किले के अंदर ही कस्बा बसता था। दीवारें 6 मीटर तक चौड़ी और 18 मीटर तक ऊंची थीं। लेकिन मोहम्मद गोरी ने उन्हें हरा दिया और भारत में तुर्कों की एंट्री हो गई।

दूसरा शहर

मोहम्मद गोरी के बेटे शहाबुद्दीन ने गद्दी संभालने के बाद अपने भरोसेमंद सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को कमान सौंप दी। ऐबक ने 1206 में दिल्ली से तख्त शुरू किया। उसने कुतुब महरौली बसाई। यह दिल्ली का दूसरा शहर था। चार साल बाद ऐबक की घोड़े से गिरकर मौत हो गई। ऐबक का दामाद इल्तुतमिश दिल्ली का सुल्तान बन गया। बाद में उसकी बेटी रजिया सुल्तान दिल्ली की शासक बनी।

तीसरे शहर सिरी में खिलजी ने किए सारे इंतजाम

रजिया सुल्तान के बाद कुतुब की सल्तनत खत्म हो गई। 1296 में अलाउद्दीन खिलजी गद्दी पर बैठा। उसने सोना लुटाते हुए दिल्ली में प्रवेश किया। मंगोल शासकों ने जब हमला किया तब खिलजी ने उसके सैनिकों के सिर कलम कर दीवारों में चुनवा दिए थे। इस वजह से उसके किले का नाम सिरी पड़ा। खिलजी ने रेवेन्यू सिस्टम बनाया। फौज और बाजारों पर उसका ध्यान था। अस्पताल भी बनवाए। इन कामों में लगे लोग सिरी फोर्ट के अंदर ही रहते थे। किले के अंदर ही पूरे शहर के लिए इंतजाम थे। यह दिल्ली का तीसरा शहर था।

चौथा शहर

खिलजी कमजोर हुए तो 1320 में तुगलक दिल्ली में आ जमे। गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद किले और गयासपुर के आसपास शहर बसाया। यह चौथा शहर था। यह दौर तुगलक से ज्यादा मशहूर सूफी निजामुद्दीन औलिया और उनके शागिर्द अमीर खुसरो की वजह से जाना गया। औलिया तो महबूब-ए-इलाही कहलाए। वहीं, खुसरो ब्रजभाषा को अरबी-फारसी में पिरोकर हिंदवी जुबान को रंगते रहे। उन्होंने बंदिशें लिखीं। राग गढ़े। सितार और तबले जैसे साज़ बनाए। दिलचस्प पहेलियों वाले सुखन लिखे। कव्वाली भी शुरू कराई। औलिया ने तुगलक वंश के सात और खुसरो ने पांच सुल्तानों को देखा।

पांचवां शहर था फिरोजशाह कोटला

गयासुद्दीन तुगलक के बाद मोहम्मद बिन तुगलक सुल्तान बना। वह राजधानी को कुछ दिन दौलताबाद ले जाने के बाद दिल्ली लौट आया। उसके बाद उसके चाचा सुल्तान फिरोजशाह तुगलक गद्दी पर बैठे। फिरोजशाह ने यमुना के किनारे कोटला बसाया। यहां 18 गांव थे। 10 हमाम, 150 कुएं थे। उसने 30 महल बनवाए। कुतुब मीनार को दुरुस्त कराया। पांच नहरें बनाईं। 1388 में उसका निधन हुआ।

तैमूर ने दिल्ली को तीन दिन-तीन रात तक लूटा

तैमूर लंग ने 1398 में दिल्ली पर हमला किया। तीन दिन-तीन रात तक लूटपाट हुई। फिरोजशाह के शानदार शहर को खंडहर बना दिया गया। हजारों लोगों के सिर कलम कर दिए गए। लेकिन तैमूर ज्यादा वक्त नहीं टिक पाया। लाेदियों ने उसे खदेड़ दिया। बहलोल और सिकंदर के बाद इब्राहिम लोदी ने दिल्ली को बसाया और खूबसूरत बनाया। लेकिन शहर फिरोजशाह के आसपास का ही रहा।

छठा शहर
इब्राहिम लोदी को मुगलों के संस्थापक बाबर ने हरा दिया। लोदी जंग में मारा गया। बाबर आगे बढ़ गया लेकिन मुगलों के लोग वहां जमे रहे। बाबर ने आगरा को राजधानी बनाया लेकिन उसकी मौत के बाद हुमायूं दिल्ली आ गया। पुराने किले के आसपास के शहर को हुमायूं ने दीन पनाह नाम दिया। 1539 में शेर शाह सूरी ने हुमायूं को जंग में खदेड़ दिया और दीनपनाह को शेरगढ़ बना दिया। बंगाल से पेशावर तक सड़क उसी ने बनवाई थी जो बाद में ग्रैंड ट्रंक रोड कहलवाई। रुपया भी सूरी ने ही चलाया था।

सातवां शहर

शेर शाह सूरी की 1545 में मौत हो गई। 1555 में हुमायूं फिर दिल्ली आया। शेरगढ़ को फिर दीनपनाह बना दिया। सात महीने बाद उसकी मौत हो गई। हुमायूं के बेटे अकबर ने राजधानी आगरा में बनाई। जहांगीर और शाहजहां के समय भी आगरा ही मुगलों की राजधानी रही। लेकिन
शाहजहां ने बाद में दिल्ली का रुख किया और यमुना किनारे शाहजहानाबाद की नींव रखी। यह दिल्ली का सातवां शहर था। उसी ने 1638 में लाल किला बनवाया। 46 लाख रुपए में अपना तख्त-ए-ताऊस बनवाया। जामा मस्जिद बनवाई। चांदनी चौक बसा। मीना बाजार बना।

1739 में दिल्ली में हुआ कत्ल-ए-आम
मुगल शासक मोहम्मद शाह के वक्त ईरान से आए नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला कर दिया। वह तख्त-ए-ताऊस भी अपने साथ ले गया। उसकी मचाई मारकाट में दिल्ली के 30 हजार लोग मारे गए। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की एंट्री हुई।

अंग्रेज मजबूत होते गए और दिल्ली के मुगल शासक सिमटते गए। 1803 में दिल्ली भी अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गई। 1857 की क्रांति में आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को ही नेता घोषित किया गया। उन्होंने लिखा- गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्ते लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की। लेकिन जफर को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके दो बेटों का कत्ल कर दिया गया। दिल्ली में अंग्रेजों ने कत्ल-ए-आम किया। बिल्कुल नादिर शाह की तरह। जफर को अंग्रेज रंगून ले गए। मौत के बाद उन्हें वहीं दफन कर दिया गया।

यह दिल्ली के बसने का आखिरी दौर था जो 1911 से शुरू हुआ और नई दिल्ली कहलाया। इसके लिए दिल्ली दरबार बुराड़ी में सजाया गया। राजाओं को न्योता दिया गया। हजारों लोगों के ठहरने और खाने-पीने के चंद दिनों के इंतजाम लिए बुराड़ी में अस्थायी शहर बस गया। दिल्ली रोशनी से जगमगा उठी। जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की सवारी चांदनी चौक से गुजरी। दिल्ली दरबार में आकर जॉर्ज पंचम ने दिल्ली को राजधानी बनाने का ऐलान कर सभी राजाओं को चौंका दिया। इसके बाद एडविन लुटियंस ने शानदार इमारतें बनाईं। इनमें वाइसराय हाउस यानी राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट शामिल है। इसे 29 हजार मजदूरों ने बनाया। शाही इमारतों के लिए धौलपुर, भरतपुर और आगरा से पत्थर मंगवाए गए। पत्थर ढोने के लिए अलग रेल लाइनें बनाई गईं। हर्बर्ट बेकर ने संसद भवन बनवाया।

Saturday 10 January 2015

मैं हूँ आपका राष्ट्रध्वज (मैं आपका अपना राष्ट्रध्वज बोल रहा हूँ)



मैं हूँ आपका राष्ट्रध्वज

प्यारे भारतवासियों,


मैं आपका अपना राष्ट्रध्वज बोल रहा हूँ। गुलामी की काली स्याह रात के अंतिम प्रहर जब स्वतंत्रता का सूर्य निकलने का संकेत प्रभात बेला ने दिया, तब 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान सभा के कक्ष में पं. जवाहरलाल नेहरू ने मुझे विश्व एवं भारत के नागरिकों के सामने प्रस्तुत किया, यह मेरा जन्म-पल था।

मुझे भारत का राष्ट्रध्वज स्वीकार कर सम्मान दिया गया। इस अवसर पर पं. नेहरू ने बड़ा मार्मिक भाषण भी दिया तथा माननीय सदस्यों के समक्ष मेरे दो स्वरूप- एक रेशमी खादी व दूसरा सूती खादी से बना- प्रस्तुत किए। सभी ने करतल ध्वनि के साथ मुझे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार किया।

इससे पहले 23 जून, 1947 को मुझे आकार देने के लिए एक अस्थायी समिति का गठन हुआ, जिसके अध्यक्ष थे डॉ. राजेन्द्रप्रसाद तथा समिति में उनके साथ थे मौलाना अबुल कलाम आजाद, के.एम. पणिक्कर, श्रीमती सरोजिनी नायडू, के.एम. मुंशी, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और डॉ. बी.आर. आम्बेडकर। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद मेरे बारे में स्पष्ट निर्णय लिया गया।

मेरे रंग-रूप, आकार, मान-सम्मान, फहराने आदि के बारे में मानक तय हुए। अंततः 18 जुलाई 1947 को मेरे बारे में अंतिम निर्णय हो गया और संविधान सभा में स्वीकृति प्राप्ति हेतु पं. जवाहरलाल नेहरू को अधिकृत किया, जिन्होंने 22 जुलाई 1947 को सभी की स्वीकृति प्राप्त की और मेरा जन्म हुआ।

21 फीट लंबाई और 14 फीट चौड़ाई। यह राष्ट्रध्वज का सबसे बड़ा आकार है जो मानक आकारों में शामिल है लेकिन इसे आज तक कहीं फहराया नहीं गया है। आजादी के समय न तो इतने विशाल भवन थे और न इतना बड़ा कहीं दंड था कि इस ध्वज को फहराया जा सके। वर्तमान में विशाल भवनों के निर्माण के बाद संभव है कि इस आकार के ध्वज को भविष्य में कहीं फहराया जाए।

आजादी के दीवानों के बलिदान व त्याग की लालिमा मेरी रगों में बसी है। इन्हीं दीवानों के कारण मेरा जन्म संभव हुआ। 14 अगस्त 1947 की रात 10.45 पर काउंसिल हाउस के सेंट्रल हॉल में श्रीमती सुचेता कृपलानी के नेतृत्व में 'वंदे मातरम्‌' के गायन से कार्यक्रम शुरू हुआ।

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद व पं. जवाहरलाल नेहरू के भाषण हुए। इसके पश्चात्‌ श्रीमती हंसाबेन मेहता ने अध्यक्ष राजेन्द्रप्रसाद को मेरा सिल्क वाला स्वरूप सौंपा और कहा कि आजाद भारत में पहला राष्ट्रध्वज जो इस सदन में फहराया जाएगा, वह भारतीय महिलाओं की ओर से इस राष्ट्र को एक उपहार है। सभी लोगों के समक्ष मेरा यह पहला प्रदर्शन था। 'सारे जहाँ से अच्छा' व 'जन-गण-मन' के सामूहिक गान के साथ यह समारोह सम्पन्न हुआ।

पंडित नेहरू ने मेरे मानक बताए, जिन्हें आपको जानना जरूरी है (जिनका उल्लेख भारतीय मानक संस्थान के क्रमांक आई.एस.आई.-1-1951, संशोधन 1968 में किया गया)। उन्होंने कहा भारत का राष्ट्रध्वज समतल तिरंगा होगा। यह आयताकार होकर इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 2:3 होगा, तीन रंगों की समान आड़ी पट्टिका होगी। सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद तथा नीचे हरे रंग की पट्टी होगी। सफेद रंग की पट्टी पर मध्य में सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ का चौबीस शलाकाओं वाला चक्र होगा, जिसका व्यास सफेद रंग की पट्टी की चौड़ाई के बराबर होगा।

मेरे निर्माण में जो वस्त्र उपयोग में लाया जाएगा, वह खादी का होगा तथा यह सूती, ऊनी या रेशमी भी हो सकता है, लेकिन शर्त यह होगी कि सूत हाथ से काता जाएगा एवं हाथ से बुना जाएगा। इसमें हथकरघा सम्मिलित है। सिलाई के लिए केवल खादी के धागों का ही प्रयोग होगा। नियमानुसार मेरे लिए खादी के एक वर्ग फीट कपड़े का वजन 205 ग्राम होना चाहिए।

मेरे निर्माण के लिए हाथ से बनी खादी का उत्पादन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के एक समूह द्वारा पूरे देश में मात्र ‘गरग’ गाँव में किया जाता है जो उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले में बेंगलूर-पूना रोड पर स्थित है। इसकी स्थापना 1954 में हुई, परन्तु अब मेरा निर्माण क्रमश: ऑर्डिनेंस क्योरिंग फैक्टरी शाहजहाँपुर, खादी ग्रामोद्योग आयोग मुम्बई एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग दिल्ली में होने लगा है। निजी निर्माताओं द्वारा भी राष्ट्रध्वज का निर्माण किए जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन मेरे गौरव व गरिमा को दृष्टिगत रखते हुए यह जरूरी है कि मुझ पर आई.एस.आई. (भारतीय मानक संस्थान) की मुहर लगी हो।

मेरे रंगों का अर्थ भी स्पष्ट है। केसरिया रंग साहस और बलिदान का, सफेद रंग सत्य और शांति का तथा हरा रंग श्रद्धा व शौर्य का प्रतीक है। चौबीस शलाकाओं वाला नीला चक्र 24 घंटे सतत्‌ प्रगति का प्रतीक है और प्रगति भी ऐसी जैसे कि नीला अनन्त विशाल आकाश एवं नीला अथाह गहरा सागर।

विशेष परिस्थिति

राष्ट्रीय उल्लास के पर्वों पर अर्थात्‌ 15 अगस्त, 26 जनवरी के अवसर पर किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है तथा राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब मुझे झुका दिया जाना चाहिए, लेकिन मेरे भारतवासियों इन दिनों सभी जगह कार्यक्रम एवं ध्वजारोहण सामान्य रूप से होगा, लेकिन जहाँ जिस भवन में उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर रखा है, वहाँ उस भवन का ध्वज झुका रहेगा तथा जैसे ही पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकालते हैं, वैसे ही मुझे पूरी ऊँचाई तक फहरा दिया जाएगा।

शवों पर लपेटना

राष्ट्र पर प्राण न्योछावर करने वाले फौजी रणबाँकुरों के शवों पर एवं राष्ट्र की महान विभूतियों के शवों पर भी मुझे उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए लपेटा जाता है, तब मेरी केसरिया पट्टी सिर तरफ एवं हरी पट्टी जंघाओं की तरफ होना चाहिए, न कि सिर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरी पट्टी दाएँ-बाएँ हों। याद रहे शहीद या विशिष्ट व्यक्ति के शव के साथ मुझे जलाया या दफनाया नहीं जाए, बल्कि मुखाग्नि क्रिया से पूर्व या कब्र में शरीर रखने से पूर्व मुझे हटा लिया जाए।

नष्टीकरण

अमानक, बदरंग कटी-फटी स्थिति वाला मेरा स्वरूप फहराने योग्य नहीं होता। ऐसा करना मेरा अपमान होकर अपराध है, अतः वक्त की मार से जब कभी मेरी ऐसी स्थिति हो जाए तो मुझे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ अग्नि प्रवेश दिला दें या वजन/रेत बाँधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दें। इसी प्रकार पार्थिव शरीरों पर से उतारे गए ध्वजों के साथ भी करें।

मेरा अपमान

मुझे पानी की सतह से स्पर्श कराना, भूमि पर गिराना, फाड़ना, जलाना, मुझ पर लिखना तथा मेरा व्यावसायिक उद्देश्य से उपभोक्ता वस्तु पर प्रयोग अपराध होता है। मुझे झुकाना भी मेरा अपमान कहलाता है।

आप सभी का स्वाभिमान,
प्यारा तिरंगा राष्ट्रध्वज