Wednesday, 22 March 2017

भगत सिंह की ज़िंदगी के वे आख़िरी 12 घंटे जो आपकी आखे नम कर देगी


भगत सिंह
Image captionवर्ष 1927 में पहली बार गिरफ़्तारी के बाद जेल में खींची गई भगत सिंह की फ़ोटो (तस्वीर चमन लाल ने उपलब्ध करवाई है)

लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च, 1931 की शुरुआत किसी और दिन की तरह ही हुई थी. फ़र्क सिर्फ़ इतना सा था कि सुबह-सुबह ज़ोर की आँधी आई थी.
लेकिन जेल के क़ैदियों को थोड़ा अजीब सा लगा जब चार बजे ही वॉर्डेन चरत सिंह ने उनसे आकर कहा कि वो अपनी-अपनी कोठरियों में चले जाएं. उन्होंने कारण नहीं बताया.
उनके मुंह से सिर्फ़ ये निकला कि आदेश ऊपर से है. अभी क़ैदी सोच ही रहे थे कि माजरा क्या है, जेल का नाई बरकत हर कमरे के सामने से फुसफुसाते हुए गुज़रा कि आज रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है.
उस क्षण की निश्चिंतता ने उनको झकझोर कर रख दिया. क़ैदियों ने बरकत से मनुहार की कि वो फांसी के बाद भगत सिंह की कोई भी चीज़ जैसे पेन, कंघा या घड़ी उन्हें लाकर दें ताकि वो अपने पोते-पोतियों को बता सकें कि कभी वो भी भगत सिंह के साथ जेल में बंद थे.


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Image captionसॉन्डर्स मर्डर केस में जज ने इसी कलम से भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के लिए फांसी की सज़ा लिखी थी

बरकत भगत सिंह की कोठरी में गया और वहाँ से उनका पेन और कंघा ले आया. सारे क़ैदियों में होड़ लग गई कि किसका उस पर अधिकार हो. आखिर में ड्रॉ निकाला गया.

लाहौर कॉन्सपिरेसी केस

अब सब क़ैदी चुप हो चले थे. उनकी निगाहें उनकी कोठरी से गुज़रने वाले रास्ते पर लगी हुई थी. भगत सिंह और उनके साथी फाँसी पर लटकाए जाने के लिए उसी रास्ते से गुज़रने वाले थे.
एक बार पहले जब भगत सिंह उसी रास्ते से ले जाए जा रहे थे तो पंजाब कांग्रेस के नेता भीमसेन सच्चर ने आवाज़ ऊँची कर उनसे पूछा था, "आप और आपके साथियों ने लाहौर कॉन्सपिरेसी केस में अपना बचाव क्यों नहीं किया."
भगत सिंह का जवाब था, "इन्कलाबियों को मरना ही होता है, क्योंकि उनके मरने से ही उनका अभियान मज़बूत होता है, अदालत में अपील से नहीं."


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Image captionभगत सिंह की खाकी रंग की कमीज

वॉर्डेन चरत सिंह भगत सिंह के ख़ैरख़्वाह थे और अपनी तरफ़ से जो कुछ बन पड़ता था उनके लिए करते थे. उनकी वजह से ही लाहौर की द्वारकादास लाइब्रेरी से भगत सिंह के लिए किताबें निकल कर जेल के अंदर आ पाती थीं.

जेल की कठिन ज़िंदगी

भगत सिंह को किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि एक बार उन्होंने अपने स्कूल के साथी जयदेव कपूर को लिखा था कि वो उनके लिए कार्ल लीबनेख़ की 'मिलिट्रिज़म', लेनिन की 'लेफ़्ट विंग कम्युनिज़म' और अपटन सिनक्लेयर का उपन्यास 'द स्पाई' कुलबीर के ज़रिए भिजवा दें.
भगत सिंह जेल की कठिन ज़िंदगी के आदी हो चले थे. उनकी कोठरी नंबर 14 का फ़र्श पक्का नहीं था. उस पर घास उगी हुई थी. कोठरी में बस इतनी ही जगह थी कि उनका पाँच फिट, दस इंच का शरीर बमुश्किल उसमें लेट पाए.


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Image captionभगत सिंह के जूते जिसे उन्होंने अपने साथी क्रांतिकारी जयदेव कपूर को तोहफे में दे दिया था

भगत सिंह को फांसी दिए जाने से दो घंटे पहले उनके वकील प्राण नाथ मेहता उनसे मिलने पहुंचे. मेहता ने बाद में लिखा कि भगत सिंह अपनी छोटी सी कोठरी में पिंजड़े में बंद शेर की तरह चक्कर लगा रहे थे.

उन्होंने मुस्करा कर मेहता को स्वागत किया और पूछा कि आप मेरी किताब 'रिवॉल्युशनरी लेनिन' लाए या नहीं? जब मेहता ने उन्हे किताब दी तो वो उसे उसी समय पढ़ने लगे मानो उनके पास अब ज़्यादा समय न बचा हो.

मेहता ने उनसे पूछा कि क्या आप देश को कोई संदेश देना चाहेंगे? भगत सिंह ने किताब से अपना मुंह हटाए बग़ैर कहा, "सिर्फ़ दो संदेश... साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और 'इंक़लाब ज़िदाबाद!"
इसके बाद भगत सिंह ने मेहता से कहा कि वो पंडित नेहरू और सुभाष बोस को मेरा धन्यवाद पहुंचा दें, जिन्होंने मेरे केस में गहरी रुचि ली थी. भगत सिंह से मिलने के बाद मेहता राजगुरु से मिलने उनकी कोठरी पहुंचे.


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Image captionभगत सिंह की घड़ी. इसे उन्होंने अपने साथी क्रांतिकारी जयदेव कपूर को तोहफे में दे दिया था

राजगुरु के अंतिम शब्द थे, "हम लोग जल्द मिलेंगे." सुखदेव ने मेहता को याद दिलाया कि वो उनकी मौत के बाद जेलर से वो कैरम बोर्ड ले लें जो उन्होंने उन्हें कुछ महीने पहले दिया था.

तीन क्रांतिकारी

मेहता के जाने के थोड़ी देर बाद जेल अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों को बता दिया कि उनको वक़्त से 12 घंटे पहले ही फांसी दी जा रही है. अगले दिन सुबह छह बजे की बजाय उन्हें उसी शाम सात बजे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा.
भगत सिंह मेहता द्वारा दी गई किताब के कुछ पन्ने ही पढ़ पाए थे. उनके मुंह से निकला, "क्या आप मुझे इस किताब का एक अध्याय भी ख़त्म नहीं करने देंगे?"
भगत सिंह ने जेल के मुस्लिम सफ़ाई कर्मचारी बेबे से अनुरोध किया था कि वो उनके लिए उनको फांसी दिए जाने से एक दिन पहले शाम को अपने घर से खाना लाएं.


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Image captionअसेंबली बम केस में लाहौर की सीआईडी ने ये गोला बरामद किया था

लेकिन बेबे भगत सिंह की ये इच्छा पूरी नहीं कर सके, क्योंकि भगत सिंह को बारह घंटे पहले फांसी देने का फ़ैसला ले लिया गया और बेबे जेल के गेट के अंदर ही नहीं घुस पाया.

आज़ादी का गीत

थोड़ी देर बाद तीनों क्रांतिकारियों को फांसी की तैयारी के लिए उनकी कोठरियों से बाहर निकाला गया. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने हाथ जोड़े और अपना प्रिय आज़ादी गीत गाने लगे-
कभी वो दिन भी आएगा
कि जब आज़ाद हम होंगें
ये अपनी ही ज़मीं होगी
ये अपना आसमाँ होगा.
फिर इन तीनों का एक-एक करके वज़न लिया गया. सब के वज़न बढ़ गए थे. इन सबसे कहा गया कि अपना आखिरी स्नान करें. फिर उनको काले कपड़े पहनाए गए. लेकिन उनके चेहरे खुले रहने दिए गए.


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Image captionभगत सिंह की भूख हड़ताल का पोस्टर जिस पर उनके ही नारे छपे हैं. पोस्टर नेशनल आर्ट प्रेस, अनारकली, लाहौर ने प्रिंट किया था

चरत सिंह ने भगत सिंह के कान में फुसफुसा कर कहा कि वाहे गुरु को याद करो.

फांसी का तख़्ता

भगत सिंह बोले, "पूरी ज़िदगी मैंने ईश्वर को याद नहीं किया. असल में मैंने कई बार ग़रीबों के क्लेश के लिए ईश्वर को कोसा भी है. अगर मैं अब उनसे माफ़ी मांगू तो वो कहेंगे कि इससे बड़ा डरपोक कोई नहीं है. इसका अंत नज़दीक आ रहा है. इसलिए ये माफ़ी मांगने आया है."
जैसे ही जेल की घड़ी ने 6 बजाय, क़ैदियों ने दूर से आती कुछ पदचापें सुनीं. उनके साथ भारी बूटों के ज़मीन पर पड़ने की आवाज़े भी आ रही थीं. साथ में एक गाने का भी दबा स्वर सुनाई दे रहा था, "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..."
सभी को अचानक ज़ोर-ज़ोर से 'इंक़लाब ज़िंदाबाद' और 'हिंदुस्तान आज़ाद हो' के नारे सुनाई देने लगे. फांसी का तख़्ता पुराना था लेकिन फांसी देने वाला काफ़ी तंदुरुस्त. फांसी देने के लिए मसीह जल्लाद को लाहौर के पास शाहदरा से बुलवाया गया था.


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Image captionये टोपी सुखदेव की है जिसे वो अक्सर पहना करते थे

भगत सिंह इन तीनों के बीच में खड़े थे. भगत सिंह अपनी माँ को दिया गया वो वचन पूरा करना चाहते थे कि वो फाँसी के तख़्ते से 'इंक़लाब ज़िदाबाद' का नारा लगाएंगे.

लाहौर सेंट्रल जेल

लाहौर ज़िला कांग्रेस के सचिव पिंडी दास सोंधी का घर लाहौर सेंट्रल जेल से बिल्कुल लगा हुआ था. भगत सिंह ने इतनी ज़ोर से 'इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा लगाया कि उनकी आवाज़ सोंधी के घर तक सुनाई दी.
उनकी आवाज़ सुनते ही जेल के दूसरे क़ैदी भी नारे लगाने लगे. तीनों युवा क्रांतिकारियों के गले में फांसी की रस्सी डाल दी गई. उनके हाथ और पैर बांध दिए गए. तभी जल्लाद ने पूछा, सबसे पहले कौन जाएगा?
सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकने की हामी भरी. जल्लाद ने एक-एक कर रस्सी खींची और उनके पैरों के नीचे लगे तख़्तों को पैर मार कर हटा दिया. काफी देर तक उनके शव तख़्तों से लटकते रहे.


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Image captionअसेंबली बम केस में भगत सिंह के खिलाफ उर्दू में लिखा गया एफआईआर

अंत में उन्हें नीचे उतारा गया और वहाँ मौजूद डॉक्टरों लेफ़्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ़्टिनेंट कर्नल एनएस सोधी ने उन्हें मृत घोषित किया.

अंतिम संस्कार

एक जेल अधिकारी पर इस फांसी का इतना असर हुआ कि जब उससे कहा गया कि वो मृतकों की पहचान करें तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया. उसे उसी जगह पर निलंबित कर दिया गया. एक जूनियर अफ़सर ने ये काम अंजाम दिया.
पहले योजना थी कि इन सबका अंतिम संस्कार जेल के अंदर ही किया जाएगा, लेकिन फिर ये विचार त्यागना पड़ा जब अधिकारियों को आभास हुआ कि जेल से धुआँ उठते देख बाहर खड़ी भीड़ जेल पर हमला कर सकती है.
इसलिए जेल की पिछली दीवार तोड़ी गई. उसी रास्ते से एक ट्रक जेल के अंदर लाया गया और उस पर बहुत अपमानजनक तरीके से उन शवों को एक सामान की तरह डाल दिया गया.


भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह
Image captionभगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह (तस्वीर चमन लाल ने उपलब्ध करवाई है)

पहले तय हुआ था कि उनका अंतिम संस्कार रावी के तट पर किया जाएगा, लेकिन रावी में पानी बहुत ही कम था, इसलिए सतलज के किनारे शवों को जलाने का फैसला लिया गया.

लाहौर में नोटिस

उनके पार्थिव शरीर को फ़िरोज़पुर के पास सतलज के किनारे लाया गया. तब तक रात के 10 बज चुके थे. इस बीच उप पुलिस अधीक्षक कसूर सुदर्शन सिंह कसूर गाँव से एक पुजारी जगदीश अचरज को बुला लाए.
अभी उनमें आग लगाई ही गई थी कि लोगों को इसके बारे में पता चल गया. जैसे ही ब्रितानी सैनिकों ने लोगों को अपनी तरफ़ आते देखा, वो शवों को वहीं छोड़ कर अपने वाहनों की तरफ़ भागे. सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया.
अगले दिन दोपहर के आसपास ज़िला मैजिस्ट्रेट के दस्तख़त के साथ लाहौर के कई इलाकों में नोटिस चिपकाए गए जिसमें बताया गया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सतलज के किनारे हिंदू और सिख रीति से अंतिम संस्कार कर दिया गया.


भगत सिंह
Image captionनेशनल कॉलेज लाहौर की फ़ोटो. पगड़ी पहने भगत सिंह (दाहिने से चौथे) खड़े नज़र आ रहे हैं (तस्वीर चमन लाल ने उपलब्ध करवाई है)

इस ख़बर पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया आई और लोगों ने कहा कि इनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उन्हें पूरी तरह जलाया भी नहीं गया. ज़िला मैजिस्ट्रेट ने इसका खंडन किया लेकिन किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया.

भगत सिंह का परिवार

इस तीनों के सम्मान में तीन मील लंबा शोक जुलूस नीला गुंबद से शुरू हुआ. पुरुषों ने विरोधस्वरूप अपनी बाहों पर काली पट्टियाँ बांध रखी थीं और महिलाओं ने काली साड़ियाँ पहन रखी थीं.
लगभग सब लोगों के हाथ में काले झंडे थे. लाहौर के मॉल से गुज़रता हुआ जुलूस अनारकली बाज़ार के बीचोबीच रूका.
अचानक पूरी भीड़ में उस समय सन्नाटा छा गया जब घोषणा की गई कि भगत सिंह का परिवार तीनों शहीदों के बचे हुए अवशेषों के साथ फिरोज़पुर से वहाँ पहुंच गया है.


भगत सिंह
Image captionजालंधर के देशभगत यादगार हॉल में लगाई गई भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की एक पुरानी तस्वीर (तस्वीर चमन लाल ने उपलब्ध करवाई है)

जैसे ही तीन फूलों से ढ़के ताबूतों में उनके शव वहाँ पहुंचे, भीड़ भावुक हो गई. लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए.

ब्रिटिश साम्राज्य

वहीं पर एक मशहूर अख़बार के संपादक मौलाना ज़फ़र अली ने एक नज़्म पढ़ी जिसका लब्बोलुआब था, 'किस तरह इन शहीदों के अधजले शवों को खुले आसमान के नीचे ज़मीन पर छोड़ दिया गया.'
उधर, वॉर्डेन चरत सिंह सुस्त क़दमों से अपने कमरे में पहुंचे और फूट-फूट कर रोने लगे. अपने 30 साल के करियर में उन्होंने सैकड़ों फांसियां देखी थीं, लेकिन किसी ने मौत को इतनी बहादुरी से गले नहीं लगाया था जितना भगत सिंह और उनके दो कॉमरेडों ने.
किसी को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि 16 साल बाद उनकी शहादत भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अंत का एक कारण साबित होगी और भारत की ज़मीन से सभी ब्रिटिश सैनिक हमेशा के लिए चले जाएंगे.

Tuesday, 29 November 2016

जिनकी करंसी के आगे डॉलर भी कुछ नहीं।


आमतौर पर भारत सहित दुनिया भर की करंसी का उतार-चढ़ाव की तुलना डॉलर से ही की जाती है। इसलिए कह सकते हैं कि डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करंसी है। लेकिन, दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जिनकी करंसी के आगे डॉलर भी कुछ नहीं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुवैत का एक दिनार ही भारत के करीब 225 रुपए के बराबर होता है। यहां, हम आपको अन्य करंसी की कीमत शेयर बाजार को ध्यान में रखते हुए बता रहे हैं।




























































Monday, 7 November 2016

अमेरिका की जटिल चुनाव प्रक्रिया को समझना जरूरी है



अमेरिका की जटिल चुनाव प्रक्रिया को समझना जरूरी है


1- अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव 51 छोटे-छोटे चुनाव हैं। 50 राज्यों और एक अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन का चुनाव। हर राज्य में पॉप्युलर वोट के जरिए कुछ सदस्यों का चुनाव होता है जो दिए गए कैंडिडेट में किसी एक का समर्थन करते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में 538 सदस्य हैं। हर राज्य की जनसंख्या के हिसाब से उनके इलेक्टोरल सदस्य होते हैं। ठीक उसी तरह से जैसे भारत में लोकसभा में सांसद होते हैं।

2.हाउस ऑफ रेप्रिज़ेंटटिव में हर राज्य के सदस्यों का एक इलेक्टोरल होता है और दूसरा राज्य के दो सिनेटर के लिए। अमेरिका के हर राज्य में 2 सिनेटर होता है फिर चाहे उनकी जनसंख्या कितनी भी हो।


3.जादुई आंकड़ा 270 वोटों का है। राष्ट्रपति वही बनेगा जो 538 इलेक्टोरल वोटों में से कम से कम 270 वोट हासिल कर लेगा।

4.सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य कैलिफॉर्निया में 55 इलेक्टोरल हैं, टेक्सस में 38, न्यू यॉर्क और फ्लॉरिडा में 29 इलेक्टोरल। तो वहीं सबसे कम जनसंख्या वाले अलास्का, डेलवेयर, वर्मॉन्ट और वायोमिंग में सिर्फ 3 इलेक्टोरल है।

5.इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य आधिकारिक तौर पर 19 दिसंबर को राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। लेकिन उससे पहले ही नतीजे पता चल जाते हैं क्योंकि डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टियां हर राज्य में इलेक्टोरल कॉलेज में अपने सदस्यों की सूची देती हैं। ये इलेक्टोरल पार्टी अधिकारी होते हैं जो अपने राज्य में जीतने वाले सदस्य के पक्ष में वोट करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।

6.अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया भारत से बिल्कुल अलग है। कई बार एक उम्मीदवार ज्यादा पॉप्युलर वोट जीतने के बाद भी चुनाव हार जाता है क्योंकि इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका अहम होती है।

7.सभी राज्यों को कुछ निर्वाचक मिलते हैं जो कांग्रेसमैन या सिनेटर्स होते हैं। जाहिर है बड़े राज्यों के पास ज्यादा निर्वाचक होते हैं। लेकिन दो राज्यों- मेन और नेब्रास्का की भूमिका बड़ी होती है। यदि आप कैलिफोर्निया में 60 पर्सेंट वोट हासिल करते हैं तो आपके पास राज्य के सभी इलेक्टर्स आ गए। उदाहरण के लिए 2012 में ओबामा ने राष्ट्रीय स्तर पर 51 पर्सेंट वोट हासिल किया था, जबकि यह 61 पर्सेंट इलेक्टोरल कॉलेज वोट में तब्दील हुआ था।

8.एक तरफ जहां भारत में वोट देने की प्रक्रिया खत्म होने के बाद मतगणना की प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है। वहीं, अमेरिका में जैसे ही किसी राज्य में मतदान खत्म होता है वहां, वोटों की गिनती शुरू हो जाती है। साथ ही नतीजे भी पब्लिक में अनाउंस कर दिए जाते हैं।

9.जैसे-जैसे राज्यों से चुनाव के परिणाम आते जाते हैं एक चुनावी नक्शा तैयार हो जाता है। लाल रंग वाले राज्यों का मतलब रिपब्लिकन की जीत और नीला रंग डेमोक्रैट का प्रतिनिधित्व करता है। यह चुनावी नक्शा पार्टियों और उम्मीदवारों के प्रदर्शन की जानकारी देता है। नक्शा बताता है कि कौन कहां से जीत या हार रहा है।

10.अमेरिकी टेलिविजन एक-एक कर सभी राज्यों में विजेताओं की घोषणा करते हैं। यह घोषणा उनके वोट टैली, एग्जिट पोल और उनके खुद के प्रॉजेक्शन के साथ की जाती है। आमतौर पर डेमोक्रैट्स के गढ़ कैलिफॉर्निया के 55 इलेक्टरोल वोट के रिजल्ट से पहले ही चुनाव में जीत-हार तय हो चुकी होती है।

Thursday, 3 November 2016

4 स्लैब वाले GST



सरकार ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लिए चार स्तर के टैक्स स्ट्रक्चर का ऐलान किया है। इसके बाद जीएसटी को लेकर मार्केट की राय में अहम बदलाव हो सकता है। जीएसटी में इस बात का ध्यान रखा गया है कि आम आदमी की जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े।

खाद्यान्न समेत आम इस्तेमाल की आधी चीजों पर जीरो टैक्स लगेगा। हालांकि ये चीजें जीएसटी का हिस्सा तो होंगी लेकिन इन पर जीरो टैक्स होने से आम आदमी की जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दरें मौजूदा टैक्स स्लैब से कम रखी गई हैं। आइए जानते हैं जरूरी चीजों पर मौजूदा टैक्स स्लैब क्या है और जीएसटी की प्रस्तावित दरें कितनी हैं, जिससे यह जानना आसान हो जाएगा कि आपकी जेब पर इसका कितना असर पड़ेगा।

चाय
जीएसटी से आपकी चाय थोड़ी सस्ती हो सकती है। जीएसटी की नई दरों के हिसाब से देखें तो टाटा टी प्रीमियम के 1 किलोग्राम पैक का मौजूदा MRP अभी 420 रुपये है, जिस पर 5.66 फीसदी टैक्स लगता है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर आपको 0.9 फीसदी टैक्स की बचत होगी।

जैम
किसान जैम के 700 ग्राम की एमआरपी 175 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 5.66 फीसदी है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर भी टैक्स में 0.9 फीसदी बचत होगी।

फुटवेअर
बाटा प्रॉडक्ट की मौजूदा एमआरपी 799 रुपये पर है जिस पर अभी 15.04 फीसदी टैक्स है, जबकि 15.25 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर आपकी जेब पर बोझ पड़ेगा यानी 0.2 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

मोबाइल
माइक्रोमैक्स कैनवस 6 का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 13,999 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 19.63 फीसदी है। इस पर जीएसटी की दर 15.25 लागू होगी यानी टैक्स में 4.4 फीसदी की बचत होगी।

बोतलबंद पानी
1 लीटर वाले बिसलेरी की बोतल की कीमत 20 रुपये है। इस पर मौजूदा टैक्स 18.38 फीसदी है। जीएसटी की दर 21.88 फीसदी लागू होगी यानी इस पर 3.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

नहाने वाला साबुन
125 ग्राम के सिंथॉल डेओ साबुन की कीमत 117 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 20.25 फीसदी है। इस पर 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा यानी इस पर भी 1.6 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

टीवी एलईडी
सैमसंग के 40 इंच वाले एलईडी टीवी की मौजूदा कीमत 53,000 रुपये है और इस पर टैक्स 19.63 फीसदी है जबकि 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर 2.3 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

साइकल
हीरो स्प्रिंट साइकल की कीमत 5,839 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 9.26 फीसदी है। इस पर जीएसटी की प्रभावी दर 10.71 फीसदी होगी यानी 1.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

कलम
यूनिबॉल की कीमत 50 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 13.16 फीसदी है। इस पर 15.25 फीसदी जीएसटी लगेगा यानी 2.1 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।

खाद्य तेल, मसाला, चाय और कॉफी
खाने वाले तेल, मसाला, चाय, कॉफी पर अभी 9 फीसदी टैक्स लगता है जबकि जीएसटी की दर 5 फीसदी है। यानी रोजाना के इस्तेमाल की इन चीजों पर आपको टैक्स में 4 फीसदी बचत होगी।

कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड
कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड्स अभी 9%-15% वाले टैक्स स्लैब में है। इन पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है। इन सामानों पर भी कुल मिलाकर आम आदमी को फायदा होगा।

साबुन, तेल और शेविंग स्टिक्स
ये सामान मौजूदा समय में 15%-21% टैक्स स्लैब में है। इस पर जीएसटी दर 18 फीसदी है। इसमें भी आम आदमी को फायदा होगा।

वाइट गुड्स
ज्यादातर वाइट गुड्स जैसे एलईडी टीवी सेट्स आदि पर आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में जहां इन चीजों पर 21 फीसदी टैक्स लगता है, वहीं इनके लिए 28 फीसदी जीएसटी दर का ऐलान किया गया है। यानी इन सामानों पर आपको पहले के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।



सोना
सोने पर सर्विस टैक्स रेट्स और जीएसटी पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

Monday, 8 August 2016

जीएसटी संशोधि‍त बिल पर पीएम के 35 मिनट के भाषण की 75 बड़ी बातें



लोकसभा में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुचर्चित जीएसटी संशोधि‍त बिल पर अपनी और सरकार की राय रखी. उन्होंने इस बिल को गरीबी को दूर करने में सहायक बताया. साथ ही कहा कि यह विधेयक ग्राहक को राजा बनाएगा और छोटे उत्पादकों को सुरक्षा की गारंटी देगा. जानें, पीएम के 35 मिनट के भाषण की 75 बड़ी बातें-

टैक्‍स टेररिज्‍म से मुक्ति की दिशा में यह बड़ा कदम

1. आज 8 अगस्‍त को टैक्‍स टेररिज्‍म से मुक्ति की दिशा में यह बड़ा कदम है.

2. हमारे दोनों सदन के लोग मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठा रहे हैं.
3. मैं सभी राजनीतिक दलों का धन्‍यवाद करने के लिए खड़ा हूं.

4. 29 राज्‍यों और नब्‍बे राजनीतिक दलों से विचार के बाद जीएसटी आज यहां खड़ा है.

5. ये सही है कि कृष्‍ण को जन्‍म किसी ने दिया, बड़ा किसी ने बनाया लेकिन यह भी सही कि ये किसी दल या किसी सरकार की विजय नहीं है. ये भारत के उच्‍च परंपराओं की विजय है. ये सभी राजनीतिक दलों की विजय है.

6. ये पहले और वर्तमान सरकार के योगदान से है. इसलिए कौन जीता कौन हारा, इस पर किसी विवाद की आवश्‍यकता है.

7. स्‍पीकर महोदय धन्‍यवाद सदन का समय बढ़ाने के लिए. मुझे लग रहा था कि खड़गेजी मेरे लिए समय रखेंगे या नहीं.
जीएसटी का ये है असली मतलब

8. जीएसटी का मतलब है ग्रेट स्‍टेप्‍स टुवार्ड्स ट्रांसपैरेंसी.

9. जीएसटी का मतलब है ग्रेट स्‍टेप बाई टीम इंडिया.

10. यह सिर्फ कर व्‍यवस्‍था नहीं है.

11. जीएसटी एक भारत के भाव को बल देता है.

12. सभी इसके पक्ष में रहे क्‍योंकि इससे एक भारत को बल मिलेगा.

13. कभी कभी जीएसटी को लेकर संशय भी रहे.

14. मैं जब सीएम था तब भी मेरे मन में संशय रहे. मैंने प्रणबजी से भी बात की.

15. लंबे मंथन के कारण बहुत सी कमियों को दूर करने में हम सफल रहे हैं.

16. मुझे पता है कि प्रयास का परिणाम मिलेगा.

17. एक मंच, एक मत, एक मार्ग, एक मंजिल ये मंत्र आज जीएसटी के सारे प्रोसेस में हम सब ने अनुभव किया है.

18. ये बात सही है कि राज्‍यसभा में ये बिल अंकगणित में संकट आ सकता है.

19. इसमें सबसे बड़ी आवश्‍यकता थी कि राज्‍यों और केंद्र के बीच विश्‍वास पैदा हो.

20. मैंने पहले भी कहा है कि लोकतंत्र एक सहमति की यात्रा है.

कंज्‍यूमर इज ए किंग.....

21. हम जीएसटी पर बहुमत के आधार पर फैसला नहीं चाहते थे.

22. हम सब अलग अलग राजनीतिक विचारों से जुड़े हैं.

23. इस पूरी चर्चा में हमने देखा कि इस पवित्र स्‍थान में राजनीति नहीं हुई.

24. राजनीति से ऊपर राष्‍ट्रनीति होती है. इसे हम सबने मिलकर साबित किया.

25. इसका एक सीधा मैसेज है कि कंज्‍यूमर इज ए किंग.

26. अलग अलग जो कर व्‍यवस्‍थाएं हैं, इसके कारण एक सरलीकरण आ जाएगा.

27. इससे कंज्‍यूमर के साथ बिजनेसमैन को भी फायदा होगा.

28. जीएसटी से 7 से 11 कर प्रथा सरल होगी.

अर्थव्‍यवस्‍था के लिए ये 5 बातें जरूरी....

29. अर्थव्‍यवस्‍था को तेज गति से चलाने के लिए पांच बातें ध्‍यान देनी होती हैं. मैन, मशीन, मटैरियल, मनी और मिनट.

30. जीएसटी से छोटे बिजनेसमैन को भी फायदा होगा.

31. जीएसटी के कारण सारे अवरोध दूर हो जाएंगे.

32. हर राज्‍य एक दूसरे पर आश्रित है. तब जाकर कुछ काम चलता है. इसमें कठिनाई है, जिसे दूर करने में इससे सुविधा होगी.

33. आज जो हमारे पिछड़े राज्‍य माने जाते हैं, इससे उनकी आय बढ़ेगी.

34. जीएसटी से विदेशों से चीजें लाने में कमी आएगी.

पूर्वी हिस्‍से को हमें बराबरी में लाना है....

35. पूर्वी हिस्‍से को बराबरी में हमें लाना है. वरना ये असंतुलित विकास खतरनाक होगा.

36. जीएसटी लागू होने के बाद इसका फायदा उठाएं.

37. देश जिन सपनों को देख रहा है, इसके जरिए हम उसे पूरा कर पाएंगे.

38. राज्‍यों और केंद्रों के बीच तनाव या तो संपत्ति को लेकर या प्राकृतिक संसाधनों को लेकर रहता है.

39. इसकी वजह से ट्रांसपैरेंसी आएगी.

40. किसके पास कितना धन है, इसका सही बंटवार होगा. मतलब झगड़ा बंद होगा.

41. सब कुछ केंद्र और राज्‍य की जानकारी में रहेगा.

गरीबों की होगी जय जय...महंगाई दर अब 4 फीसद

42. जीएसटी में गरीबों की उपयोगी चीजें टैक्‍स दायरे से बाहर होंगी.

43. जरूरी दवाएं जीएसटी से बाहर हैं.

44. इसकी वजह से राज्‍यों की तकलीफें हम दूर करेंगे.

45. इस सरकार ने कानूनन एक अहम फैसला लिया है. हमने आरबीआई से कहा है कि महंगाई दर 4 फीसद तक तय करें.

46. हमने पहली बार ये कानूनन किया है. आने वाले समय में इसका फायदा होगा.

47. महंगाई दर स्थिर रहने से माहौल बदलेगा.

गरीबी हमें विरासत में मिली है, अब लोन सबको

48. गरीबी हमें विरासत में मिली है.

49. गरीबी से लड़ने की इच्‍छा हम सबकी है.

50. गरीबी को मिटाने के लिए हम गरीबों की फौज तैयार करेंगे.

51. छोटे बिजनेसमैन को लोन मिलने में काफी समस्‍या होती है. हम इसमें बदलाव लाएंगे.

52. जीएसटी के कारण हर व्‍यक्ति का कारोबारी खाका तैयार रहेगा. और सबको लोन मिल सकेगा.

53. हर छोटे से छोटे व्‍यक्ति का अब लाभ मिलेगा. चाहे वह नाई हो या मोची.

54. इसके कारण सहज रूप से धन मिलेगा तो प्रतिस्‍पर्धा भी बढ़ेगी. मैनुफैक्‍चरिंग में.

55. और जब प्रतिस्‍पर्धा बढ़ेगी तो रोजगार भी बढ़ेगा.

आपको कच्‍चे बिल की चिंता ज्‍यादा है...

56. हम भ्रष्‍टाचार को बहुत कुछ कहते हैं. लेकिन हमें अब इसे मिटाने के लिए व्‍यवस्‍थाएं भी बनानी होंगी.

57. अगर व्‍यवस्‍थाएं ठीक होंगी तो गलत आदमी भी ठीक रहेगा.

58. कच्‍चा बिल और पक्‍का बिल ये बड़ा पॉपुलर है ट्रेडर्स में.

59. इस पर हल्‍ला मचने के बाद पीएम ने कहा कि मैं तब से इंतजार कर रहा था कि विपक्षी खड़े क्‍यों नहीं हुए.

60. आपको कच्‍चे बिल की चिंता ज्‍यादा है. विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा.

61. व्‍यापारी पक्‍के बिल के लिए प्रेरित होगा.

62. पुराने कच्‍चे पक्‍के की दुनिया अब बंद हो जाएगी.

इससे भ्रष्‍टाचार शून्‍य की ओर जाएगा...

63. तकनीक की वजह से कॉस्‍ट ऑफ कलेक्‍शन में कमी आएगी.

64. सरकारी इंटरफियरेंस खत्‍म तो करप्‍शन खत्‍म.

65. इस सबसे भ्रष्‍टाचार शून्‍य की ओर जाएगा.

66. एक ऐसी व्‍यवस्‍था विकसित हो रही कि टैक्‍स पेयर्स और कलेक्‍टर के बीच ह्यूमन इंटरएक्‍शन बंद हो जाएगा. इससे हमें लाभ मिलेगा.

67. ईमानदारी से इस व्‍यवस्‍था के तहत मुनाफा होगा.

68. इससे हम कालेधन को रोकने में भी सफल होंगे.

69. राज्‍यों और केंद्रों के सारे आंकड़ें एक ही जगह आपको मिलेंगे.

100 से ज्‍यादा कानून हुए पास

70. नया विषय होता है तो लोगों को जागरूक करना भी होता है.

71. दुनिया में लोकतंत्र के जो माहिर देश माने जाते हैं. ऐसे देशों में फायनंस बिल वाली बातें भी करा पाना मुश्किल होता है.

72. ये भारत के राजनीतिक दलों की मैच्‍योरिटी है कि आज हम वैचारिक विरोधों के बावजूद भी इस महान कार्य को एक साथ मिलकर कर रहे हैं.

73. हम इस बात के लिए गर्व कर सकते हैं कि हमारी सरकार को 100 हफ्तों में 100 से ज्‍यादा कानून पारित हुए हैं.

74. इसके लिए मैं सबका आभारी हूं.

75. मुझे मेरे विचार रखने के लिए मौका मिला. इसके लिए मैं आभारी हूं.

Wednesday, 27 July 2016

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जिंदगी से जुड़े कुछ प्रेरणादायक प्रसंग

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जिंदगी से जुड़े कुछ प्रेरणादायक प्रसंग
1. एक बार डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी. टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए. लेकिन डॉ कलाम ने टीम के इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर पक्षी नहीं बैठेंगे.
2. डीआरडीओ के पूर्व चीफ की मानें तो 'अग्नि' मिसाइल के टेस्ट के समय कलाम काफी नर्वस थे. उन दिनों वो अपना इस्तीफा अपने साथ लिए घूमते थे. उनका कहना था कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो वो इसकी जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देंगे.
3. एक बार कुछ नौजवानों ने डॉ कलाम से मिलने की इच्छा जताई. इसके लिए उन्होंने उनके ऑफिस में एक पत्र लिखा. कलाम ने राष्ट्रपति भवन के पर्सनल चैंबर में उन युवाओं से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि काफी समय उनके साथ गुजार कर उनके आइडियाज भी सुनें. आपको बता दें कि डॉ कलाम ने पूरे भारत में घूमकर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मुलाकात की थी.
4. डीआरडीओ में काम का काफी दवाब रहता था. एक बार साथ में काम करने वाला एक वैज्ञानिक उनके पास आया और बोला कि उसे समय से पहले घर जाना है. दरअसल वैज्ञानिक को अपने बच्चों को प्रदर्शनी दिखानी थी. डॉ कलाम ने उसे अनुमति दे दी. लेकिन काम के चक्कर में वह भूल गया कि उसे जल्दी घर जाना है. बाद में उसे बड़ा बुरा लगा कि वो अपने बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने नहीं ले जा सका. जब वह घर गया तो पता चला कि कलाम के कहने पर मैनेजर उसके बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने ले जा चुका था.
5. साहस पर डॉ कलाम ने अपनी एक किताब में एक घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि जब वो SU-30 MKI एयर क्राफ्ट उड़ा रहे थे तो एयर क्राफ्ट के नीचे उतरने पर कई नौजवान और मीडिया के लोग उनसे बातें करने लगे. एक ने कहा कि आपको 74 साल की उम्र में सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट चलाने में डर नहीं लगा? इस पर डॉ कलाम का जवाब था, '40 मिनट की फ्लाइट के दौरान मैं यंत्रों को कंट्रोल करने में व्यस्त रहा और इस दौरान मैंने डर को अपने अंदर आने का समय ही नहीं दिया.'