Thursday, 17 July 2014

Li-Fi Internet Technique For High Speed Connection बल्ब देंगे 10 GBPS की इंटरनेट स्पीड


                                                            बल्ब देंगे 10 GBPS की इंटरनेट स्पीड


इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत अभी काफी पीछे है, लेकिन मैक्सिको में एक ऐसी नई तकनीक इजाद की गई है, जिसकी मदद से बल्ब की रोशनी के जरिए 10 GB प्रति सेकंड की दर तक इंटरनेट स्पीड मिल सकती है। सबसे अच्छी बात ये है कि इस लाइट ट्रांसफर तकनीक को हैक नहीं किया जा सकता है। ये दावा मैक्सिको की उसी सॉफ्टवेयर कंपनी का है, जिसने इस तकनीक को टेस्ट किया है।

अब LED बल्ब 10 GB प्रति सेकंड की इंटरनेट स्पीड देंगे। इस हाईस्पीड इंटरनेट टेक्नोलॉजी का नाम है लाई-फाई (Li-Fi)। यह आने वाले वक्त में वाई-फाई तकनीक की जगह लेगी। मैक्सिको की सॉफ्टवेयर कंपनी साई-सॉफ्ट (Si-soft) ने लाई-फाई के जरिए टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो डाटा का ट्रांसफर टेस्ट किया। इस दौरान 10 GB प्रति सेकंड तक की स्पीड से डाटा एक सिस्टम से दूसरे पर पहुंचा। सामान्य इस्तेमाल के हिसाब से देखा जाए तो यह टेक्नोलॉजी 2GB प्रति सेकंड तक की इंटरनेट स्पीड दे सकती है।

अगर ये तकनीक अपने सभी परीक्षण सफल कर लेती है, तो दुनिया को इंटरनेट के नए साधन मिलेंगे। E&T मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में एक स्कॉटिश रिसर्च फर्म ने कुछ ऐसी ही तकनीक का इस्तेमाल करके 1.1 GB प्रति सेकंड की स्पीड हासिल कर ली थी।

फिलहाल, मैक्सिको की इंटरनेट स्पीड 200 MB प्रति सेकंड की है। अगर ये लाई-फाई तकनीक मैक्सिको में आ जाती है तो एक पूरी HD फिल्म डाउनलोड करने में सिर्फ 45 सेकंड का समय लगेगा।

ऐसे काम करेगी लाई-फाई-

कंपनी ने खास तरह का राउटर बनाया है। इसमें LED लैंप लगा है। राउटर से निकली इंटरनेट रेडियो तरंगें लैंप के जरिए प्रकाश तरंगों में बदल जाएंगी। वे दूसरी ओर लगे राउटर तक पहुंचेंगी और उससे जुड़े सिस्टम्स को हाईस्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराएंगी।

रोशनी भी, हाई-स्पीड इंटरनेट भी

लाई-फाई (लाइट फिडेलिटी) टेक्नोलॉजी में रेडियो तरंगों के बजाए प्रकाश तरंगों का इस्तेमाल होता है। जहां तक प्रकाश पहुंचाएंगे, वहां तक इंटरनेट भी पहुंचेगा। वो भी पलक झपकते।

नहीं रहेगा हैकिंग का खतरा-

रेडियो तरंगें हैक हो जाती हैं, लेकिन प्रकाश तरंगों को हैक करना नामुमकिन है। इसलिए लाई-फाई से मिलने वाले इंटरनेट सिग्नल को हैक नहीं किया जा सकता है।
कहां इस्तेमाल की जा सकती है ये तकनीक-

लाई-फाई तकनीक का इस्तेमाल उन जगहों पर किया जा सकता है, जहां बहुत बड़े एरिया में काम हो रहा हो। ऑफिस, कॉलेज और यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर ये तकनीक हर उस गैजेट को इंटरनेट से कनेक्ट कर सकती है, जो लाइट स्पेक्ट्रम की रेंज के अंदर हो। इसमें स्मार्टफोन, टैबलेट, फैबलेट, लैपटॉप और डेस्कटॉप कम्प्यूटर शामिल हैं। लाई-फाई तकनीक को वाई-फाई का विकल्प माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी खूबी हाई-स्पीड होगी जो वाई-फाई इंटरनेट से कई गुना ज्यादा है।

VLC: इस तकनीक को विजिबल लाइट कम्युनिकेशन (VLC) नाम भी दिया गया है। इस तकनीक की शुरुआत सबसे पहले 2 GB प्रति सेकंड की दर से हुई थी, जिसे साई-सॉफ्ट ने 10 GB तक पहुंचा दिया है। साई-सॉफ्ट की टीम ने इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ मैक्सिको (ITAM) की मदद ली थी। इन दोनों संस्थानों ने मिलकर लाई-फाई को पांच गुना तेज बना दिया।

साई-सॉफ्ट के CEO ऑर्टुरो कैम्पोस फेनटेन्स ने लाई-फाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस तकनीक का सबसे पहला परीक्षण ऑडियो फाइल भेजने के लिए किया गया था। इसके लिए 3.5 mm के ऑडियो जैक को स्मार्टफोन से जोड़ा गया था। इसके बाद लाई-फाई के माध्यम से ऑडियो फाइल को ऑप्टिकल सिग्नल के रूप में भेजा गया था।

रेडिएशन की कमी-

हैकिंग से बचने और बेहतर इंटरनेट स्पीड के अलावा भी लाई-फाई का एक और फायदा है। इस तकनीक को हॉस्पिटल या ऐसी किसी जगह भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां वायरलेस सिग्नल रेडिएशन पैदा करने वाली मशीनों के चलते बंद हो जाते हैं। इसका मतलब है कि जिस तरह वाई-फाई के सिग्नल बार-बार बंद हो जाते हैं, वैसी कोई भी समस्या लाई-फाई के साथ नहीं आएगी।

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