वैज्ञानिकों ने बनाया डाटा ट्रांसफर स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड
डेनमार्क के शोधकर्ताओंने रिकॉर्ड गति पर डाटा ट्रांसफर का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने सिंगल ऑप्टिकल फाइबर की मदद से 43 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति से डाटा ट्रांसफर किया।
टेक्निकल यूनिसर्विटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के शोधकर्ताओं ने इस रिकॉर्ड गति के लिए एक नए प्रकार के ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल किया है। शोधकर्ताओं ने 43 टेराबाइट की गति के साथ कार्लस्त्रह इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
जर्मन शोधकर्ताओं की टीम ने इससे पहले 32 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति का रिकॉर्ड बनाया था। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए डाटा ट्रांसफर की गति को लेकर एक वैश्रि्वक प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में सालाना 40-50 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। इससे इंटरनेट पर डाटा प्रोसेसिंग का बोझ बढ़ा है और उसकी गति मंद पड़ती है या इंटरनेट जाम जैसे हालात कभी-कभी उत्पन्न हो जाते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके अतिरिक्त इंटरनेट में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा भी एक बड़ा प्रश्न है। मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन में इंटरनेट की हिस्सेदारी 2 फीसद है। इंटरनेट के प्रयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसी तकनीक को बढ़ावा देना जरूरी है जिससे गति को बढ़ाते हुए ऊर्जा की खपत को कम किया जा सके।
डेनमार्क के शोधकर्ताओंने रिकॉर्ड गति पर डाटा ट्रांसफर का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने सिंगल ऑप्टिकल फाइबर की मदद से 43 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति से डाटा ट्रांसफर किया।
टेक्निकल यूनिसर्विटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के शोधकर्ताओं ने इस रिकॉर्ड गति के लिए एक नए प्रकार के ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल किया है। शोधकर्ताओं ने 43 टेराबाइट की गति के साथ कार्लस्त्रह इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
जर्मन शोधकर्ताओं की टीम ने इससे पहले 32 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति का रिकॉर्ड बनाया था। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए डाटा ट्रांसफर की गति को लेकर एक वैश्रि्वक प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में सालाना 40-50 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। इससे इंटरनेट पर डाटा प्रोसेसिंग का बोझ बढ़ा है और उसकी गति मंद पड़ती है या इंटरनेट जाम जैसे हालात कभी-कभी उत्पन्न हो जाते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके अतिरिक्त इंटरनेट में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा भी एक बड़ा प्रश्न है। मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन में इंटरनेट की हिस्सेदारी 2 फीसद है। इंटरनेट के प्रयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसी तकनीक को बढ़ावा देना जरूरी है जिससे गति को बढ़ाते हुए ऊर्जा की खपत को कम किया जा सके।
No comments:
Post a Comment