Cyber Crime साइबर क्राइम
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले करीब-करीब हर शख्स ने कोई न कोई साइबर क्राइम जरूर किया है। कानूनी नहीं तो नैतिक अपराध तो किया ही है। इनमें से ज्यादातर को तो इसका अंदाजा तक नहीं होता। वे कहीं से भी कोई चित्र, लेख या विडियो कॉपी-पेस्ट करते समय जरा भी नहीं झिझकते। इंटरनेट पर ऐसे तमाम काम हैं, जो साइबर क्राइम के तहत आते हैं।
कॉपी-पेस्ट या सामग्री की चोरी
- हर क्रिएटिव चीज बनाने वाले के पास एक खास हक होता है जो उसे अपनी सामग्री को गैरकानूनी ढंग से नकल किए जाने के खिलाफ सुरक्षा देता है। इसे कॉपीराइट कहते हैं।
- आपके लेख, कहानी, कविता, व्यंग्य, फोटो, संगीत की धुन, सॉफ्टवेयर, विडियो, कार्टून, एनिमेशन, किताब, ई-बुक, वेबसाइट वगैरह पर आपको यह खास हक हासिल है। कोई भी शख्स आपकी इजाजत के बिना आपकी रचना की कॉपी नहीं कर सकता और न ही उसे दूसरों को दे सकता है। ऐसा करना कॉपीराइट कानून का उल्लंघन है और आप उसके खिलाफ अदालत जा सकते हैं।
- कॉपीराइट लेने की एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन अगर ऐसा नहीं भी करते, तो भी अपनी रचना पर आपका ही हक है।
- इसी तरह अगर आप किसी और का फोटो उसकी लिखित मंजूरी के बिना अपने फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट करते हैं तो वह साइबर क्राइम है। गूगल इमेज या दूसरी इमेज होस्टिंग वेबसाइटों से अपनी पसंद का कोई फोटो लेकर उसे अपने ब्लॉग, सोशल नेटवर्किंग ठिकाने, वेबसाइट या पत्र-पत्रिका में इस्तेमाल करना भी उसी कैटिगरी में आता है।
- गूगल एक सर्च इंजन भर है, वह फ्री डाउनलोड साइट नहीं है। इसीलिए वह किसी भी पिक्चर के साथ उस वेब पेज को भी दिखाता है, जहां से उसे ढूंढा गया है। ऐसा करके वह पिक्चर चुराए जाने के मामले में किसी भी तरह की जिम्मेदारी से आजाद हो जाता है।
क्या करें
- अगर आपको गूगल इमेज सर्च पर मौजूद कोई फोटो इस्तेमाल करना है, तो कायदे से उस वेब पेज के संचालक से इजाजत लेनी चाहिए।
- अगर कोई शख्स अपनी रचना को लेकर ज्यादा ही गंभीर हो, तो यह छोटी सी चोरी आपको भारी पड़ सकती है। जिस गूगल के जरिये आपने वह लेख, फोटो या विडियो ढूंढा है, उसी के जरिये आपकी चोरी भी पकड़ी जा सकती है।
मजेदार साभार
- कुछ ब्लॉगों पर बड़ी दिलचस्प बातें नजर आती है। ब्लॉगरों ने गूगल इमेजेज से फोटो का इस्तेमाल किया और बतौर सावधानी नीचे साभार गूगल लिख दिया।
- गूगल पर दिखने वाले सर्च नतीजों, फोटो वगैरह पर गूगल का कोई मालिकाना हक नहीं है। वे तो महज रेफरेंस के तौर पर दिए गए हैं, जिससे आप सही ठिकाने तक पहुंच सकें।
- आभार ही जताना है तो उस वेबसाइट का जताइए, जहां से गूगल ने उसे ढूंढा है।
चाइल्ड पॉर्नोग्रफी देखना
- अगर आप जाने या अनजाने अपने इंटरनेट कनेक्शन के जरिये चाइल्ड पॉर्नोग्रफी (बच्चों के अश्लील चित्र, विडियो, लेख आदि) देखते हैं तो वह साइबर क्राइम है।
- आपने ऐसी किसी सामग्री को अपने किसी दोस्त को फॉरवर्ड कर दिया तो आप एक और साइबर क्राइम कर चुके हैं।
- 18 साल से कम उम्र वालों से संबंधित अश्लील सामग्री देखना, इंटरनेट से भेजना और सहेजना साइबर क्राइम है।
- इन्हें न खुद देखें, न किसी को फॉरवर्ड करें।
लोगो की चोरी
- इंटरनेट पर लोगो, आइकंस, प्रतीक चिह्नों, ट्रेडमार्क वगैरह की चोरी भी आम है।
- नया काम खोलना है या नई वेबसाइट बनानी है लोगो के लिए इंटरनेट सर्च से बेहतर जरिया क्या होगा?
- अच्छा सा लोगो दिखाई दिया और आपने उसे कॉपी कर इस्तेमाल कर लिया या किसी डिजाइनर की सेवा ली जिसने झटपट इंटरनेट से किसी कंपनी का अच्छा सा लोगो इस्तेमाल कर आपका विजिटिंग कार्ड, ब्रोशर और लेटरहेड तैयार कर दिया। ऐसा करके आपने न सिर्फ कॉपीराइट का उल्लंघन कर चुके हैं बल्कि ऑनलाइन ट्रेडमार्क के उल्लंघन मामले में भी आपको दोषी करार दिया जा सकता है।
- ऐसे किसी भी लोगो या आइकन का प्रयोग अपने बिजनेस आदि के लिए न करें।
वाई-फाई का दुरुपयोग
- जुलाई 2008 में अहमदाबाद बम विस्फोटों के बाद उनकी जिम्मेदारी लेते हुए आतंकवादियों ने जो ईमेल भेजा था, वह आपके-हमारे जैसे ही किसी आम इंटरनेट यूजर के वाई-फाई कनेक्शन का इस्तेमाल करके भेजा था। जांच एजेंसियों ने पता लगाया कि यह ईमेल नवी मुंबई के एक ?लैट में लगे वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन के जरिये आया था। जाहिर है, उन्होंने यही निष्कर्ष निकाला कि जिस घर से मेल भेजा गया, वह किसी न किसी रूप में हमलावरों से जुड़ा हुआ होगा, लेकिन इस फ्लैट में रहता था मल्टिनैशनल कंपनी में काम करने वाला अमेरिकी नागरिक केनेथ हैवुड। अब उसे समझ आया कि इंटरनेट कनेक्शन लगाने वाले इंजिनियर ने क्यों कहा था कि उसे अपने वाई-फाई नेटवर्क का पासवर्ड जल्दी ही बदल लेना चाहिए। दरअसल, हैवुड के वाई-फाई कनेक्शन में कोई सिक्युरिटी सेटिंग नहीं की गई थी और आस-पास से गुजरता कोई भी शख्स हैवुड के कनेक्शन का इस्तेमाल कर सकता था। आतंकवादियों ने यही किया और हैवुड एक आतंकवादी मामले में गिरफ्तार होते-होते बचा।
- अगर कोई अपराधी आपके इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुए साइबर क्राइम करता है तो पुलिस उसे भले ही न ढूंढ पाए, आप तक जरूर पहुंच जाएगी और नतीजे भुगतने होंगे आपको।
- अगर वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं तो उसे पासवर्ड प्रोटेक्ट करना और एनक्रिप्शन का इस्तेमाल करना न भूलें।
वायरस, स्पाईवेयर
- अगर आपके कंप्यूटर पर किसी वायरस या स्पाईवेयर ने कब्जा जमा लिया है और वह जोम्बी में तब्दील हो गया है तो समझिए, आप अपने कंप्यूटर और डेटा की असुरक्षा के साथ-साथ साइबर क्राइम में भी फंस सकते हैं। मुमकिन है, आप किसी परोक्ष साइबर क्राइम में हिस्सेदार बन रहे हों।
- कुछ वायरस और स्पाईवेयर न सिर्फ आपके कंप्यूटर के डेटा और निजी सूचनाएं चुराकर अपने संचालकों तक भेजते हैं बल्कि आपके संपर्क में मौजूद दूसरे लोगों तक अपनी प्रतियां पहुंचा देते हैं। कभी इंटरनेट के जरिये, कभी ईमेल के जरिये तो कभी लोकल नेटवर्क के जरिये। जिन लोगों के कंप्यूटर में आपके जरिये वायरस या स्पाईवेयर पहुंचा और कोई बड़ा नुकसान हो गया, उनकी नजर में दोषी कौन होगा? आप। ऐसे मामलों में आप अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
- कंप्यूटर में अच्छा एंटिवायरस, एंटिस्पाईवेयर और फायरवॉल जरूर लगवाएं। ये सिर्फ आपकी साइबर सुरक्षा के लिहाज से ही जरूरी नहीं है बल्कि इसलिए भी है कि कहीं आप अनजाने में कोई साइबर अपराध न कर बैठें।
किसी का अकाउंट खोलना
- कुछ लोग अपने दोस्तों और साथियों के ईमेल अकाउंट, फेसबुक वगैरह का पासवर्ड ढूंढने की कोशिश करते हैं और कभी-कभी सफल भी हो जाते हैं। हो सकता है, आप महज मौज-मस्ती या मजाक के लिए ऐसा कर रहे हों लेकिन अगर आप किसी का पासवर्ड हासिल करने के बाद उसके खाते में लॉग-इन करते हैं तो आप साइबर क्राइम कर रहे हैं।
- ऐसा तब भी होता है, जब किसी ने आप पर भरोसा करके आपको अपना पासवर्ड बताया हो। यह खाता ईमेल, सोशल नेटवर्किंग, ब्लॉग, वेबसाइट, ऑनलाइन स्टोरेज सविर्स, ई-कॉमर्स साइट, इंटरनेट-बैंकिंग जैसा हो सकता है।
- किसी की प्राइवेसी में सेंध लगाने पर आप डेटा प्रोटेक्शन कानून के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 72 के तहत दोषी करार दिए जा सकते हैं।
- किसी का पासवर्ड चुराकर उसका अकाउंट खोलने की कोशिश न करें। साथ ही अगर कोई साथी कहे कि मेरा ईमेल खोलकर देख लेना, यह मेरा पासवर्ड यह है, तो उससे माफी मांग लेने में ही भलाई है।
सॉफ्टवेयर पायरेसी
- भारत के ज्यादातर कंप्यूटर यूजर किसी न किसी सॉफ्टवेयर का पाइरेटेड वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम हो, ऑफिस सॉफ्टवेयर सूइट हों या फिर ग्राफिक्स, पेजमेकिंग के सॉफ्टवेयर।
- अब सॉफ्टवेयरों के भीतर एडवांस किस्म के पाइरेसी प्रोटेक्शन और मॉनिटरिंग सिस्टम आने लगे हैं और हो सकता है आपके बारे में भी कंपनियों को जानकारी हो।
- ऐसे सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल करना साइबर क्राइम के तहत आता है। हमेशा ऑरिजनल सॉफ्टवेयर ही यूज करें।
गूगल क्लिक फ्रॉड
- इंटरनेट पर विज्ञापनों के बदले भुगतान की व्यवस्था थोड़ी अलग है। यह विज्ञापनों को क्लिक किए जाने की संख्या पर आधारित है। जैसे दस क्लिक यानी दो डॉलर या करीब 110 रुपये।
- ऐसे में कुछ लोग खुद ही अपने ब्लॉगों पर लगे विज्ञापनों को क्लिक करते रहते हैं या फिर कुछ दूसरे लोगों के साथ गठजोड़ कर लेते हैं। उन्हें पता नहीं कि इंटरनेट पर ऐसे फर्जी क्लिक की निगरानी रखी जा सकती है।
- इस तरह के क्लिक से बचें। यह बड़ा आर्थिक अपराध है और पता लगने पर आपके विज्ञापन तो बंद हो ही सकते हैं, भारी-भरकम जुर्माना या दूसरी सजा भी मिल सकती है।
बैंडविड्थ की चोरी
- कुछ लोग अपनी वेबसाइट पर दूसरी जगहों से ली गई भारी-भरकम ग्राफिक फाइलें (कुछ एमबी के फोटो या विडियो आदि) डालने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं।
- वे फाइलों को अपनी वेबसाइट पर सीधे नहीं डालते बल्कि ऑरिजनल वेबसाइट से ही उन्हें लिंक कर देते हैं। होता यह है कि विडियो या चित्र दिखता तो आपकी वेबसाइट पर है लेकिन असल में वह अपनी ऑरिजनल वेबसाइट पर ही लगा हुआ है, आपके वेब सर्वर पर नहीं है।
- यहां आप दो तरह के साइबर क्राइम कर रहे हैं। पहला कॉपीराइट संबंधी और दूसरा बैंडविड्थ की चोरी।
- बैंडविड्थ की चोरी को ऐसे समझ सकते हैं। हर वेबसाइट को डेटा डाउनलोड का एक खास कोटा मिला होता है और इस सीमा से बाहर जाने पर उसके संचालक को अलग से पैसे का भुगतान करना होता है। जब आप किसी और की साइट पर मौजूद भारी-भरकम विडियो को लिंक करके अपनी साइट पर लगाते हैं तो आपकी साइट पर आने वाले हर विजिटर के लिए वह विडियो ओरिजनल साइट से डाउनलोड होता है। डाउनलोड की इस प्रक्रिया में उसकी बैंडविड्थ खर्च होती है, जबकि आप अपनी बैंडविड्थ बचा लेते हैं।
- यह किसी अनजान व्यक्ति की जेब काटने जैसा है। हमेशा अपनी बैंडविड्थ ही खर्च करें, दूसरों की नहीं।
कुछ और साइबर क्राइम
- साइबर स्क्वैटिंग : किसी मशहूर ब्रैंड, कंपनी, संगठन, इंसान आदि के नाम से जुड़ा डोमेन नेम अनधिकृत रूप से अपने नाम से बुक करवा लेना।
- ऑनलाइन मानहानि : अपने ब्लॉग, वेबसाइट, सोशल नेटवकिर्ंग ठिकाने या दूसरे इंटरनेट ठिकाने पर किसी के बारे में अपमानजनक या अश्लील टिप्पणी करना।
- कारोबारी डेटा : किसी ग्राहक द्वारा मुहैया कराए जाने वाले गोपनीय कारोबारी डेटा की
कॉपी बनाकर अपने पास रखना।
- वेबसाइट, डोमेन नेम पर कब्जा : भारत में कई वेब डिवेलपमेंट कंपनियां ऐसा करने की दोषी पाई गई हैं। अपने ग्राहकों के लिए डोमेन नेम बुक कराते, वेब होस्टिंग स्पेस लेते और इंटरनेट सेवा मुहैया कराते समय वे उनका सबसे खास यूजरनेम और पासवर्ड अपने कब्जे में रख लेते हैं और फिर उसी के दम पर ग्राहकों को तंग करते हैं।
- डिजाइन की चोरी : किसी वेबसाइट, ब्लॉग, ई-बुक आदि की बिना मंजूरी हू-ब-हू नकल कर लेना। किसी की टेंप्लेट को अनधिकृत रूप से इस्तेमाल कर लेना।
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