Wednesday, 23 September 2015

डेंगू विषाणु कैसे फैलता है



डेंगू विषाणु कैसे फैलता है

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि डेंगू विषाणु कैसे फैलता है और वे यह समझने के बहुत करीब हैं कि पहला डेंगू संक्रमण अक्सर हल्का क्यों होता है जबकि दूसरी बार संक्रमण प्राणघातक होता है।

अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि संक्रमण के जवाब में हमारे शरीर में प्रतिरक्षी पैदा होते हैं, लेकिन इस दौरान डेंगू के संक्रमण से जुड़े कुछ नयी तरह के विषाणु भी चुपचाप कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं, जिनसे हमारी प्रतिरोधक प्रणाली अनभिज्ञ बनी रहती है। बाद में मौका मिलने पर यह विषाणु सक्रिय हो जाते हैं और चूंकि प्रतिरोधक प्रणाली इनसे अनजान होती है इसलिए शरीर में इनके प्रतिरक्षी नहीं बन पाते और बीमारी प्राणघातक हो जाती है।


यहां यह महत्वपूर्ण है कि जब हम संक्रमित होते हैं तो हमारी प्रतिरोधक प्रणाली प्रतिरक्षी को संक्रमण की प्रकृति की पहचान करने के लिए भेजती है और प्रतिरक्षी संक्रमण की पहचान करने के बाद ही उसके प्रतिरोध का इंतजाम करते हैं। डेंगू के संक्रमण के विषाणुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यह एक बार प्रतिरोधक प्रणाली के घेरे में आने के बाद एक दूसरे रूप में छिपकर कोशिकाओं तक पहुंचता है और प्रतिरोधक प्रणाली को खबर होने तक मरीज को प्राणघातक नुकसान पहुंचा देता है।

डेंगू के बारे में एक असामान्य पहलू यह है कि कुछ मामलों में जब कोई व्यक्ति दूसरी बार संक्रमित होता है तो संक्रमण से प्रतिरक्षा के बजाय बीमारी ज्यादा गंभीर हो सकती है। हालत यह है कि डेंगू एंटीजेनिक काटरेग्राफी कंसोर्टियम के अनुसंधानकर्ताओं ने डेंगू के जो 148 नमूने एकत्र किए, उनमें 47 तरह के विषाणु पाए गए। कहने को चिकित्सा जगत में डेंगू के चार प्रकार प्रचलन में हैं और इन चार प्रकारों में भी प्रत्येक डेंगू के विषाणु में काफी विभिन्नताएं हैं। इससे पता चलता है कि जब कोई व्यक्ति एक तरह के डेंगू से पीड़ित होता है तो उसी तरह के दूसरे विषाणु के खिलाफ प्रतिरोध में असमर्थ होता है। यह अध्ययन जरनल साईंस में प्रकाशित हुआ है।

No comments:

Post a Comment