आमतौर पर भारत सहित दुनिया भर की करंसी का उतार-चढ़ाव की तुलना डॉलर से ही की जाती है। इसलिए कह सकते हैं कि डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करंसी है। लेकिन, दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जिनकी करंसी के आगे डॉलर भी कुछ नहीं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुवैत का एक दिनार ही भारत के करीब 225 रुपए के बराबर होता है। यहां, हम आपको अन्य करंसी की कीमत शेयर बाजार को ध्यान में रखते हुए बता रहे हैं।
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Tuesday, 29 November 2016
Monday, 7 November 2016
अमेरिका की जटिल चुनाव प्रक्रिया को समझना जरूरी है
अमेरिका की जटिल चुनाव प्रक्रिया को समझना जरूरी है
1- अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव 51 छोटे-छोटे चुनाव हैं। 50 राज्यों और एक अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन का चुनाव। हर राज्य में पॉप्युलर वोट के जरिए कुछ सदस्यों का चुनाव होता है जो दिए गए कैंडिडेट में किसी एक का समर्थन करते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज में 538 सदस्य हैं। हर राज्य की जनसंख्या के हिसाब से उनके इलेक्टोरल सदस्य होते हैं। ठीक उसी तरह से जैसे भारत में लोकसभा में सांसद होते हैं।
2.हाउस ऑफ रेप्रिज़ेंटटिव में हर राज्य के सदस्यों का एक इलेक्टोरल होता है और दूसरा राज्य के दो सिनेटर के लिए। अमेरिका के हर राज्य में 2 सिनेटर होता है फिर चाहे उनकी जनसंख्या कितनी भी हो।
3.जादुई आंकड़ा 270 वोटों का है। राष्ट्रपति वही बनेगा जो 538 इलेक्टोरल वोटों में से कम से कम 270 वोट हासिल कर लेगा।
4.सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य कैलिफॉर्निया में 55 इलेक्टोरल हैं, टेक्सस में 38, न्यू यॉर्क और फ्लॉरिडा में 29 इलेक्टोरल। तो वहीं सबसे कम जनसंख्या वाले अलास्का, डेलवेयर, वर्मॉन्ट और वायोमिंग में सिर्फ 3 इलेक्टोरल है।
5.इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य आधिकारिक तौर पर 19 दिसंबर को राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। लेकिन उससे पहले ही नतीजे पता चल जाते हैं क्योंकि डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टियां हर राज्य में इलेक्टोरल कॉलेज में अपने सदस्यों की सूची देती हैं। ये इलेक्टोरल पार्टी अधिकारी होते हैं जो अपने राज्य में जीतने वाले सदस्य के पक्ष में वोट करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।
6.अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया भारत से बिल्कुल अलग है। कई बार एक उम्मीदवार ज्यादा पॉप्युलर वोट जीतने के बाद भी चुनाव हार जाता है क्योंकि इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका अहम होती है।
7.सभी राज्यों को कुछ निर्वाचक मिलते हैं जो कांग्रेसमैन या सिनेटर्स होते हैं। जाहिर है बड़े राज्यों के पास ज्यादा निर्वाचक होते हैं। लेकिन दो राज्यों- मेन और नेब्रास्का की भूमिका बड़ी होती है। यदि आप कैलिफोर्निया में 60 पर्सेंट वोट हासिल करते हैं तो आपके पास राज्य के सभी इलेक्टर्स आ गए। उदाहरण के लिए 2012 में ओबामा ने राष्ट्रीय स्तर पर 51 पर्सेंट वोट हासिल किया था, जबकि यह 61 पर्सेंट इलेक्टोरल कॉलेज वोट में तब्दील हुआ था।
8.एक तरफ जहां भारत में वोट देने की प्रक्रिया खत्म होने के बाद मतगणना की प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है। वहीं, अमेरिका में जैसे ही किसी राज्य में मतदान खत्म होता है वहां, वोटों की गिनती शुरू हो जाती है। साथ ही नतीजे भी पब्लिक में अनाउंस कर दिए जाते हैं।
9.जैसे-जैसे राज्यों से चुनाव के परिणाम आते जाते हैं एक चुनावी नक्शा तैयार हो जाता है। लाल रंग वाले राज्यों का मतलब रिपब्लिकन की जीत और नीला रंग डेमोक्रैट का प्रतिनिधित्व करता है। यह चुनावी नक्शा पार्टियों और उम्मीदवारों के प्रदर्शन की जानकारी देता है। नक्शा बताता है कि कौन कहां से जीत या हार रहा है।
10.अमेरिकी टेलिविजन एक-एक कर सभी राज्यों में विजेताओं की घोषणा करते हैं। यह घोषणा उनके वोट टैली, एग्जिट पोल और उनके खुद के प्रॉजेक्शन के साथ की जाती है। आमतौर पर डेमोक्रैट्स के गढ़ कैलिफॉर्निया के 55 इलेक्टरोल वोट के रिजल्ट से पहले ही चुनाव में जीत-हार तय हो चुकी होती है।
Thursday, 3 November 2016
4 स्लैब वाले GST
सरकार ने गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लिए चार स्तर के टैक्स स्ट्रक्चर का ऐलान किया है। इसके बाद जीएसटी को लेकर मार्केट की राय में अहम बदलाव हो सकता है। जीएसटी में इस बात का ध्यान रखा गया है कि आम आदमी की जेब पर ज्यादा बोझ न पड़े।
खाद्यान्न समेत आम इस्तेमाल की आधी चीजों पर जीरो टैक्स लगेगा। हालांकि ये चीजें जीएसटी का हिस्सा तो होंगी लेकिन इन पर जीरो टैक्स होने से आम आदमी की जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दरें मौजूदा टैक्स स्लैब से कम रखी गई हैं। आइए जानते हैं जरूरी चीजों पर मौजूदा टैक्स स्लैब क्या है और जीएसटी की प्रस्तावित दरें कितनी हैं, जिससे यह जानना आसान हो जाएगा कि आपकी जेब पर इसका कितना असर पड़ेगा।
चाय
जीएसटी से आपकी चाय थोड़ी सस्ती हो सकती है। जीएसटी की नई दरों के हिसाब से देखें तो टाटा टी प्रीमियम के 1 किलोग्राम पैक का मौजूदा MRP अभी 420 रुपये है, जिस पर 5.66 फीसदी टैक्स लगता है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर आपको 0.9 फीसदी टैक्स की बचत होगी।
जैम
किसान जैम के 700 ग्राम की एमआरपी 175 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 5.66 फीसदी है। एमआरपी पर प्रभावी जीएसटी 4.76 फीसदी होगा। इस पर भी टैक्स में 0.9 फीसदी बचत होगी।
फुटवेअर
बाटा प्रॉडक्ट की मौजूदा एमआरपी 799 रुपये पर है जिस पर अभी 15.04 फीसदी टैक्स है, जबकि 15.25 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर आपकी जेब पर बोझ पड़ेगा यानी 0.2 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
मोबाइल
माइक्रोमैक्स कैनवस 6 का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 13,999 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 19.63 फीसदी है। इस पर जीएसटी की दर 15.25 लागू होगी यानी टैक्स में 4.4 फीसदी की बचत होगी।
बोतलबंद पानी
1 लीटर वाले बिसलेरी की बोतल की कीमत 20 रुपये है। इस पर मौजूदा टैक्स 18.38 फीसदी है। जीएसटी की दर 21.88 फीसदी लागू होगी यानी इस पर 3.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
नहाने वाला साबुन
125 ग्राम के सिंथॉल डेओ साबुन की कीमत 117 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 20.25 फीसदी है। इस पर 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा यानी इस पर भी 1.6 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
टीवी एलईडी
सैमसंग के 40 इंच वाले एलईडी टीवी की मौजूदा कीमत 53,000 रुपये है और इस पर टैक्स 19.63 फीसदी है जबकि 21.88 फीसदी जीएसटी लागू होगा। इस पर 2.3 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
साइकल
हीरो स्प्रिंट साइकल की कीमत 5,839 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 9.26 फीसदी है। इस पर जीएसटी की प्रभावी दर 10.71 फीसदी होगी यानी 1.5 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
कलम
यूनिबॉल की कीमत 50 रुपये है, जिस पर मौजूदा टैक्स 13.16 फीसदी है। इस पर 15.25 फीसदी जीएसटी लगेगा यानी 2.1 फीसदी ज्यादा टैक्स देना होगा।
खाद्य तेल, मसाला, चाय और कॉफी
खाने वाले तेल, मसाला, चाय, कॉफी पर अभी 9 फीसदी टैक्स लगता है जबकि जीएसटी की दर 5 फीसदी है। यानी रोजाना के इस्तेमाल की इन चीजों पर आपको टैक्स में 4 फीसदी बचत होगी।
कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड
कंप्यूटर्स और प्रोसेस्ड फूड्स अभी 9%-15% वाले टैक्स स्लैब में है। इन पर जीएसटी की दर 12 फीसदी है। इन सामानों पर भी कुल मिलाकर आम आदमी को फायदा होगा।
साबुन, तेल और शेविंग स्टिक्स
ये सामान मौजूदा समय में 15%-21% टैक्स स्लैब में है। इस पर जीएसटी दर 18 फीसदी है। इसमें भी आम आदमी को फायदा होगा।
वाइट गुड्स
ज्यादातर वाइट गुड्स जैसे एलईडी टीवी सेट्स आदि पर आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा। मौजूदा समय में जहां इन चीजों पर 21 फीसदी टैक्स लगता है, वहीं इनके लिए 28 फीसदी जीएसटी दर का ऐलान किया गया है। यानी इन सामानों पर आपको पहले के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा।
सोना
सोने पर सर्विस टैक्स रेट्स और जीएसटी पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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