सिन्धु घाटी की सभ्यता
परिचय :- भारत व विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में सिन्धु सभ्यता का स्थान अतिविशिष्ट है. पुरातत्व विभाग द्वारा 1921 में हड़प्पा (जिला-मोंटगोमरी, प.पंजाब ) और 1922 में मोहनजोदड़ो (जिला-लरकाना, सिंध) जैसे नगरों की खोज से इस विशाल सभ्यता का पता चला जो सिन्धु घाटी या हडप्पा सभ्यता के नाम से जानी जाती है.
काल :- कार्बन डेटिंग विधि से इसे लगभग 5000 वर्ष पूर्व का माना जाता है जबकि इसका काल 3000 ई.पू से 1700 ई.पू के बीच कहा जाता है.
लोगों का जीवन :- नगरीकृत संस्कृति थी, कृषि एवं पशुपालन इनका मुख्य व्यवसाय था. ये गेहूं, जौ, मटर, तरबूज आदि का उत्पादन करते थे और बैल, हांथी, भैंस, घोड़े,सूअर आदि का पालन करते थे. सूती व ऊनी धागा तैयार करना एवं उनसे कपडे बनाना जानते थे. सिन्धु समाज मातृसत्तात्मक था.
कला तथा धर्म :- सभ्यता के लोगों की कलात्मक जानकारी उनके बर्तनों पर चित्रकारी, सिक्कों के चलन, और आभूषण आदि से पता चलती है. वे प्रकृति पूजा व पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे. उनकी मुहरों से भाषा एवं लिपि का ज्ञान होता है जो अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है.
नगर तथा भवन निर्माण :- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना सबसे विकसित थी लगभग 33 फीट चौड़ी सड़कें और पक्के मकान, चौराहे बने थे. नगरों में समकोण आधारित सड़कें, कब्रिस्तान, अनाज भंडारगृह और पक्की ईंटों के तालाब (सामूहिक स्नानागार) आदि का निर्माण था जो की तत्कालीन सभ्यता में अद्वितीय था. यहाँ के भवनों में दरवाजे, खिड़कियाँ, रोशनदान, पक्के फर्श, स्नान गृह, नालियां आदि बने थे.
सुमेरियन तथा मेसोपोटामियन सभ्यता से समानता :- इतिहासकारों के अनुसार सिन्धु सभ्यता और सुमेरियन सभ्यता के बीच घनिष्ठ व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध थे.सुमेरियन साक्ष्यों में सिन्धु सभ्यता का उल्लेख "दिलमुन" नाम से है. सुमेरियन एवं मेसोपोटामियन सभ्यता में भी पक्की ईंटों के भवन, पीतल व तांबे का प्रयोग, चित्रमय मुहरें आदि प्रचलित थी.
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :-
· मोहनजोदड़ो के धान्य कोठार इस सभ्यता की सबसे बड़ी संरचना है.
· लोथल (भोगवा नदी के तट पर) में सिन्धु सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह स्थित था.
· सिन्धु क्षेत्र को मेहुल भी कहा गया है. चावल के साक्ष्य लोथल व रंगपुर से मिले है.
· इस सभ्यता का सबसे विकसित स्थल धौलावीरा था.
· हडप्पाकालीन लोगों को लोहे का ज्ञान नहीं था.
· कपास के सर्वप्रथम खेती हडप्पा सभ्यता के लोगों ने किया. इनकी अर्थव्यवथा का मुख्य आधार कृषिथा.
·
वैदिक या आर्य सभ्यता
परिचय :- सिन्धु सभ्यता के पश्चात् भारत में आर्य या वैदिक सभ्यता का विकास हुआ. आर्यों के कारण ही भारत को आर्यावर्त कहा गया. इस समय वेदों की उत्त्पत्ति हुई इसलिए इसे वैदिक काल भी कहते है. भारत की वर्तमान सभ्यता और संस्कृति आर्यों की ही देन है.
वैदिक काल :- इस सभ्यता का विस्तार 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक था.
लोगों का जीवन :- वैदिक ग्रामीण संस्कृति संगठित थी, लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि व पशुपालन था. वैदिक लोग विनिमय आधारित व्यापारिक क्रियाओं में लिप्त थे और विदेशों से सांस्कृतिक सम्बन्ध भी रखते थे. संयुक्त एवं पितृसत्तात्मक परिवार का चलन था महिलाओं को प्रतिष्ठापूर्ण स्थान प्राप्त था. मांसाहार और शाकाहार दोनों का चलन था. समाज मुख्यतः ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, व शुद्र में विभाजित था. घरेलू उद्योगों में बढई, धातुकर्ता का प्रमुख योगदान था. सामाजिक विभाजन का आधार वर्ण न होकर व्यवसाय था.
वैदिक साहित्य :- वैदिक कालीन साहित्य के अध्ययन से ज्ञात होता है कि वैदिक जीवन उच्च कोटि का था. प्रमुख साहित्य में वेद, उपनिषद, पुराण, स्मृतियाँ, वेदांग आदि शामिल है.
· वेद => आर्यों के सबसे प्रमुख ग्रन्थ वेद है. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद में से प्रथम तीन को मिलाकर "वेदत्रयी" कहा जाता है. वेदों में मंत्र एवं ऋचाओं (श्लोक) का संकलन है.
· उपनिषद => ये आर्यों के दार्शनिक ग्रन्थ है जिसमे आत्मा और ब्रम्हा के सम्बन्ध में उच्चकोटि का दार्शनिक चिंतन किया गया है. उपनिषदों कि संख्या 108 है जिनमे से मुंडकोपनिषद, छान्दोग्योप्निषद, जबालीउपनिषद आदि प्रमुख है.
· ब्राम्हण => वेदों की व्याख्या हेतु ये ग्रन्थ गद्द में लिखे गए है. इनमे यज्ञादि नियमों (कर्मकांडों) का संग्रह है.
· आरण्यक => एकांत वनों में इनका अध्ययन करने से इन्हें आरण्यक कहते है. इनकी भाषा एवं शैली ब्राम्हण ग्रंथों के समान है. इनमे दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों का वर्णन है.
· स्मृतियाँ => इसे धर्मशास्त्र भी कहते है. इनमे सर्वाधिक प्रसिध्द "मनुस्मृति" है. इसमें मनुष्य एवं समाज कि व्यवस्था हेतु नियमों का संकलन है. मनु को हिन्दू विधि-विधान रचियेता भी कहा जाता है.
· वेदांग => ये वेदों के अंग है जिनके माध्यम से वेदों को समझा और विशिष्ट ज्ञान प्राप्त किया जाता है. इनकी संख्या 6 है. 1- शिक्षा, 2- कल्प, 3- निरुक्ति, 4- छंदशास्त्र, 5-ज्योतिष, 6-व्याकरण.
वैदिक कालीन धर्म :- वैदिक संस्कृति मुख्यतः कबीलाई जीवन पर आधारित थी. आर्य बहुदेववादी होते हुए भीएकेश्वरवाद में विश्वास करते थे. इन्द्र, वरुण, अग्नि, प्रजापति, आदि प्रमुख देवता थे. यज्ञों (5 प्रकार के यज्ञ) का अत्यधिक महत्त्व था.
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :-
· आर्यों की उत्पत्ति मैक्समुलर ने मध्य एशिया, बाल गंगाधर तिलक ने उत्तरी ध्रुव, और दयानंद सरस्वती ने तिब्बत में कही है.
· "गायत्री मंत्र" का उल्लेख ऋग्वेद में और "सत्यमेव जयते" का वर्णन मुन्द्कोपोनिषद में है.
· घोषा, अपाला, लोपमुद्रा, एवं विश्ववारा आदि विदुषी महिलाओं ने भी ऋग्वेदिक मन्त्रों की रचना की थी.
· राजा पर नियंत्रण हेतु सभा, समिति, और विदथ जैसी संस्थाएं थी.
· जाबालोपनिषद में सर्वप्रथम आश्रम व्यवस्था (ब्रम्हचर्य,गृहस्थ,वानप्रस्थ,सन्यास) का उल्लेख था.
· ऋग्वेद के पुरुषशुक्त में सर्वप्रथम चारो वर्णों का उल्लेख है.
· ऋग्वेद में 1028 शूक्त और 10 मंडल है.
· वैदिक कालीन लोगों ने सर्वप्रथम तांबे का प्रयोग किया.
· ऋग्वेदिक काल में सबसे अधिक इन्द्र देवता को पूजा जाता था.
· यजुर्वेद के प्रमुख देवता प्रजापति है.
EXCELLENT....
ReplyDeletevery nice explaination ,short and sweet
ReplyDeleteULTIMATE
ReplyDeleteThat type of explanation must read and learn able
ReplyDeleteGood must provide a little more info.
ReplyDeleteGood must provide a little more info.
ReplyDeleteAwesome ��
ReplyDeletenice
ReplyDeleteamazing summary of this ancient civilization.
ReplyDeleteVery sweet and simple its a great information
ReplyDeleteVery sweet and simple its a great information
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBohot hi badiya; I will share it with my friends. Have A Good Day
ReplyDelete