सुभाषचंद्र बोस : संक्षिप्त परिचय
1987: नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को जानकी नाथ बोस और श्रीमती प्रभावती देवी के घर में हुआ था।
1913: उन्होंने 1913 में अपनी कॉलेज शिक्षा की शुरुआत की और कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
1915: सन् 1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
1916: ब्रिटिश प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित कर दिया गया।
1917: सुभाषचंद्र ने 1917 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में प्रवेश लिया।
1919: फिलॉसफी ऑनर्स में प्रथम स्थान अर्जित करने के साथ आईसीएस परीक्षा देने के लिए इंग्लैण्ड रवाना हो गए।
1920: सुभाषचंद्र बोस ने अँग्रेजी में सबसे अधिक अंक के साथ आईसीएस की परीक्षा न केवल उत्तीर्ण की, बल्कि चौथा स्थान भी प्राप्त किया।
1920: उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित डिग्री प्राप्त हुई।
1921: अँग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।1922: 1 अगस्त, 1922 को जेल से बाहर आए और देशबंधु चितरंजनदास की अगुवाई में गया काँग्रेस अधिवेशन में स्वराज दल में शामिल हो गए।
1923: सन 1923 में वह भारतीय युवक काँग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इसके साथ ही बंगाल काँग्रेस के सचिव भी चुने गए। उन्होंने देशबंध की स्थापित पत्रिका ‘फॉरवर्ड’ का संपादन करना शुरू किया।
1924: स्वराज दल को कलकत्ता म्युनिपल चुनाव में भारी सफलता मिली। देशबंधु मेयर बने और सुभाषचंद्र बोस को मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोनीत किया गया। सुभाष के बढ़ते प्रभाव को अँग्रेजी सरकार बरदाश्त नहीं कर सकी और अक्टूबर में ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
1925: देशबंधु का निधन हो गया।
1927: नेताजी, जवाहरलाल नेहरू के साथ अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के साधारण सचिव चुने गए।
1928: स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने भारतीय काँग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के दौरान स्वैच्छिक संगठन गठित किया। नेताजी इस संगठन के जनरल ऑफिसर इन कमांड चुने गए।
1930: उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने कलकत्ता के मेयर का चुनाव जीता।
1931: 23 मार्च, 1931 को भगतसिंह को फाँसी दे दी गई, जो कि नेताजी और महात्मा गाँधी में मतभेद का कारण बनी।
1987: नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को जानकी नाथ बोस और श्रीमती प्रभावती देवी के घर में हुआ था।
1913: उन्होंने 1913 में अपनी कॉलेज शिक्षा की शुरुआत की और कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
1915: सन् 1915 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
1916: ब्रिटिश प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित कर दिया गया।
1917: सुभाषचंद्र ने 1917 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में प्रवेश लिया।
1919: फिलॉसफी ऑनर्स में प्रथम स्थान अर्जित करने के साथ आईसीएस परीक्षा देने के लिए इंग्लैण्ड रवाना हो गए।
1920: सुभाषचंद्र बोस ने अँग्रेजी में सबसे अधिक अंक के साथ आईसीएस की परीक्षा न केवल उत्तीर्ण की, बल्कि चौथा स्थान भी प्राप्त किया।
1920: उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित डिग्री प्राप्त हुई।
1921: अँग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।1922: 1 अगस्त, 1922 को जेल से बाहर आए और देशबंधु चितरंजनदास की अगुवाई में गया काँग्रेस अधिवेशन में स्वराज दल में शामिल हो गए।
1923: सन 1923 में वह भारतीय युवक काँग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इसके साथ ही बंगाल काँग्रेस के सचिव भी चुने गए। उन्होंने देशबंध की स्थापित पत्रिका ‘फॉरवर्ड’ का संपादन करना शुरू किया।
1924: स्वराज दल को कलकत्ता म्युनिपल चुनाव में भारी सफलता मिली। देशबंधु मेयर बने और सुभाषचंद्र बोस को मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोनीत किया गया। सुभाष के बढ़ते प्रभाव को अँग्रेजी सरकार बरदाश्त नहीं कर सकी और अक्टूबर में ब्रिटिश सरकार ने एक बार फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
1925: देशबंधु का निधन हो गया।
1927: नेताजी, जवाहरलाल नेहरू के साथ अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के साधारण सचिव चुने गए।
1928: स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने भारतीय काँग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन के दौरान स्वैच्छिक संगठन गठित किया। नेताजी इस संगठन के जनरल ऑफिसर इन कमांड चुने गए।
1930: उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान ही उन्होंने कलकत्ता के मेयर का चुनाव जीता।
1931: 23 मार्च, 1931 को भगतसिंह को फाँसी दे दी गई, जो कि नेताजी और महात्मा गाँधी में मतभेद का कारण बनी।
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