Monday, 6 January 2014

ISRO इसरो ( 5 Jan 2014)

ISRO इसरो ( 5 Jan 2014)


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन) यानी जीएसएलवी डी-5 का सफल प्रक्षेपण किया जो इस लिहाज़ से अहम था कि इसमें भारत का अपना क्रायोजेनिक इंजन लगा हुआ था.

ये वही इंजन है जिसे भारत को विकसित करने में बीस वर्ष का समय लगा, जिसकी तकनीक को भारत अपने पड़ोसी देश रूस से हासिल करना चाहता था.

लेकिन अमरीका के दबाव में रूस ने भारत को ये तकनीक नहीं दी थी.

बीस वर्ष बाद ही सही भारत ने क्लिक करें क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक में महारथ हासिल कर ली है.

इस तकनीक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि दो हज़ार किलो वज़नी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए क्रायोजेनिक इंजन की सख़्त ज़रूरत पड़ती है.

इसकी वजह ये है कि इसी इंजन से वो ताक़त मिलती है, जिसके बूते किसी उपग्रह को 36,000 किलोमीटर दूर स्थित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया जाता है.

इस सफल प्रक्षेपण के साथ ही ये कहा जा सकता है कि भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में अब हर तरह की उपलब्धि हासिल कर ली है.

भारत का छोटा रॉकेट पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) यानी ध्रुवीय प्रक्षेपण यान बहुत क़ामयाब है. भारत अपने उपग्रह ख़ुद बना रहा है.

क्रायोजनिक इंजन भारत के संचार उपग्रहों को भी प्रक्षेपित करेगा. भारत जब अपना चंद्रयान-2 मिशन आरंभ करेगा, उसके लिए भी जीएसएलवी की ज़रूरत होगी.

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