Recession मंदी
एक निरंतर अवधि के दौरान सामान्य आर्थिक गतिविधि में कमी आने या व्यापार चक्र में संकुचन को अर्थशास्त्र में व्यापारिक मंदी कहा जाता है. मंदी के दौरान कई व्यापक-आर्थिक संकेतक समान रूप से परिवर्तित होते हैं. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) द्वारा मापा जाने वाला उत्पादन, रोजगार, निवेश, क्षमता उपयोग, घरेलू आय और व्यवसायिक लाभ, इन सभी में मंदी के दौरान घटोत्तरी होती है.
सरकारें आमतौर पर मंदी का सामना विस्तारी व्यापक-आर्थिक नीतियों को अपना कर करती हैं, जैसे कि धन आपूर्ति में वृद्धि, सरकारी खर्च में बढोत्तरी और कर में घटोत्तरी.
पहचानना
1975 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में आर्थिक सांख्यिकीविद जूलियस शिस्किन ने मंदी की पहचान के लिए कई सामान्य नियमों का सुझाव दिया था, जिनमें से एक था "जीडीपी की दो तिमाहियों में संकुचन". समय के साथ, अन्य सामान्य नियमों को भुला दिया गया, और मंदी को अब अक्सर बस एक ऐसी अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जब कम से कम दो तिमाहियों में जीडीपी में घटोत्तरी(वास्तविक आर्थिक विकास में संकुचन) हुई हो. कुछ अर्थशास्त्रियों की पसंद एक अन्य परिभाषा है- '12 महीने के भीतर बेरोजगारी में एक 1.5% वृद्धि.'
संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकनॉमिक रिसर्च (NBER) की बिज़नस साइकिल डेटिंग कमिटी को आमतौर पर अमेरिकी मंदियों के तिथि-निर्धारण प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है. NBER एक आर्थिक मंदी को इस प्रकार परिभाषित करता है: "पूरे देश में आर्थिक गतिविधि में उल्लेखनीय कमी, जो कुछ महीनों से ज्यादा सामान्य तक रहे तथा आमतौर पर वास्तविक जीडीपी के विकास, वास्तविक निजी आय, रोजगार (गैर कृषि भुगतान रजिस्टर), औद्योगिक उत्पादन, तथा थोक और खुदरा बिक्री में दृश्य हो." 16 लगभग पूरे विश्व के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, नीति निर्माता, और व्यवसाय एक मंदी की शुरुआत और अंत के सही तिथि-निर्धारण हेतु NBER के आंकडों की सहायता लेते हैं.
लक्षण
एक मंदी के कई लक्षण हैं जो एक ही समय पर प्रकट हो सकते हैं जैसे की, रोजगार, निवेश और कारोबारी मुनाफे में एक ही समय में कमी.
एक गंभीर (सकल घरेलू उत्पाद में 10% की घटोत्तरी)या लंबे समय तक (तीन या चार वर्ष) चलने वाली मंदी को आर्थिक विषाद(डिप्रेशन) कहा जाता है, हालाँकि कुछ का मानना है कि इनके कारक और प्रतिकार अलग अलग हैं.
एक मंदी के संकेतक
हालाँकि पूर्णतः विश्वसनीय संकेतक मौजूद नहीं हैं, निम्न को संभव संकेतक माना जा सकता है.
अमेरिका में अक्सर एक मंदी की शुरुआत के पहले शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गयी है. हालांकि 1946 के बाद से, 10% या उससे अधिक गिरावटों में से लगभग आधे के बाद मंदी नहीं आई. 21 लगभग 50% मामलों में शेयर बाजार में भारी गिरावट केवल मंदी शुरू होने के बाद ही आई.
इन्वर्टेड ईल्ड कर्व, 22 अर्थशास्त्री जोनाथन एच. राईट द्वारा विकसित एक मॉडल, 10 वर्षीय और त्रि-मासिक ट्रेज़री सिक्यूरिटी(राजकोषीय प्रतिभूतियों) पर ईल्ड तथा फेड की ओवरनाईट फंड दरों का इस्तेमाल करता है. 23 फेडरल रिजर्व बैंक न्यूयॉर्क के अर्थशास्त्रियों द्वारा विकसित एक अन्य मॉडल केवल 10-वर्षीय/त्रि-मासिक स्प्रेड(क्रय-विक्रय दरों के अंतर) का उपयोग करता है. हालाँकि यह एक निश्चित सूचक नहीं है; 24 मंदी का आगमन इसके 6 से 18 महीने बाद यदा कदा ही होता है 25
बेरोजगारी दर और प्रारंभिक बेरोजगार दावे में त्रि-मासिक बदलाव.
अग्रणी(आर्थिक) संकेतकों के सूचकांक (उपरोक्त कुछ संकेतक शामिल हैं)
वैश्विक मंदियाँ
वैश्विक मंदी के लिए कोई सर्व सहमत परिभाषा नहीं है, आईएमएफ उन अवधियों को मंदी के तौर पर मानता है जब वैश्विक विकास दर 3% से कम है. 48 आईएमएफ का अनुमान है कि वैश्विक मंदियाँ आमतौर पर 8 से 10 वर्ष की अवधि के बाद आती हैं. आईएमएफ के अनुसार पिछले तीन दशकों की तीन वैश्विक मंदियों के दौरान, प्रति व्यक्ति वैश्विक उत्पादन में वृद्धि दर शून्य या नकारात्मक था.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि एक वैश्विक मंदी वैश्विक विकास दर को तीन प्रतिशत या उससे भी कम स्तर तक ले जायेगी. इस हिसाब से 1985 के बाद से चार अवधियों को इस योग्य माना जा सकता है: 1990-1993, 1998, 2001-2002 और 2008-2009.
एक निरंतर अवधि के दौरान सामान्य आर्थिक गतिविधि में कमी आने या व्यापार चक्र में संकुचन को अर्थशास्त्र में व्यापारिक मंदी कहा जाता है. मंदी के दौरान कई व्यापक-आर्थिक संकेतक समान रूप से परिवर्तित होते हैं. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) द्वारा मापा जाने वाला उत्पादन, रोजगार, निवेश, क्षमता उपयोग, घरेलू आय और व्यवसायिक लाभ, इन सभी में मंदी के दौरान घटोत्तरी होती है.
सरकारें आमतौर पर मंदी का सामना विस्तारी व्यापक-आर्थिक नीतियों को अपना कर करती हैं, जैसे कि धन आपूर्ति में वृद्धि, सरकारी खर्च में बढोत्तरी और कर में घटोत्तरी.
पहचानना
1975 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में आर्थिक सांख्यिकीविद जूलियस शिस्किन ने मंदी की पहचान के लिए कई सामान्य नियमों का सुझाव दिया था, जिनमें से एक था "जीडीपी की दो तिमाहियों में संकुचन". समय के साथ, अन्य सामान्य नियमों को भुला दिया गया, और मंदी को अब अक्सर बस एक ऐसी अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जब कम से कम दो तिमाहियों में जीडीपी में घटोत्तरी(वास्तविक आर्थिक विकास में संकुचन) हुई हो. कुछ अर्थशास्त्रियों की पसंद एक अन्य परिभाषा है- '12 महीने के भीतर बेरोजगारी में एक 1.5% वृद्धि.'
संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल ब्यूरो ऑफ़ इकनॉमिक रिसर्च (NBER) की बिज़नस साइकिल डेटिंग कमिटी को आमतौर पर अमेरिकी मंदियों के तिथि-निर्धारण प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है. NBER एक आर्थिक मंदी को इस प्रकार परिभाषित करता है: "पूरे देश में आर्थिक गतिविधि में उल्लेखनीय कमी, जो कुछ महीनों से ज्यादा सामान्य तक रहे तथा आमतौर पर वास्तविक जीडीपी के विकास, वास्तविक निजी आय, रोजगार (गैर कृषि भुगतान रजिस्टर), औद्योगिक उत्पादन, तथा थोक और खुदरा बिक्री में दृश्य हो." 16 लगभग पूरे विश्व के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, नीति निर्माता, और व्यवसाय एक मंदी की शुरुआत और अंत के सही तिथि-निर्धारण हेतु NBER के आंकडों की सहायता लेते हैं.
लक्षण
एक मंदी के कई लक्षण हैं जो एक ही समय पर प्रकट हो सकते हैं जैसे की, रोजगार, निवेश और कारोबारी मुनाफे में एक ही समय में कमी.
एक गंभीर (सकल घरेलू उत्पाद में 10% की घटोत्तरी)या लंबे समय तक (तीन या चार वर्ष) चलने वाली मंदी को आर्थिक विषाद(डिप्रेशन) कहा जाता है, हालाँकि कुछ का मानना है कि इनके कारक और प्रतिकार अलग अलग हैं.
एक मंदी के संकेतक
हालाँकि पूर्णतः विश्वसनीय संकेतक मौजूद नहीं हैं, निम्न को संभव संकेतक माना जा सकता है.
अमेरिका में अक्सर एक मंदी की शुरुआत के पहले शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गयी है. हालांकि 1946 के बाद से, 10% या उससे अधिक गिरावटों में से लगभग आधे के बाद मंदी नहीं आई. 21 लगभग 50% मामलों में शेयर बाजार में भारी गिरावट केवल मंदी शुरू होने के बाद ही आई.
इन्वर्टेड ईल्ड कर्व, 22 अर्थशास्त्री जोनाथन एच. राईट द्वारा विकसित एक मॉडल, 10 वर्षीय और त्रि-मासिक ट्रेज़री सिक्यूरिटी(राजकोषीय प्रतिभूतियों) पर ईल्ड तथा फेड की ओवरनाईट फंड दरों का इस्तेमाल करता है. 23 फेडरल रिजर्व बैंक न्यूयॉर्क के अर्थशास्त्रियों द्वारा विकसित एक अन्य मॉडल केवल 10-वर्षीय/त्रि-मासिक स्प्रेड(क्रय-विक्रय दरों के अंतर) का उपयोग करता है. हालाँकि यह एक निश्चित सूचक नहीं है; 24 मंदी का आगमन इसके 6 से 18 महीने बाद यदा कदा ही होता है 25
बेरोजगारी दर और प्रारंभिक बेरोजगार दावे में त्रि-मासिक बदलाव.
अग्रणी(आर्थिक) संकेतकों के सूचकांक (उपरोक्त कुछ संकेतक शामिल हैं)
वैश्विक मंदियाँ
वैश्विक मंदी के लिए कोई सर्व सहमत परिभाषा नहीं है, आईएमएफ उन अवधियों को मंदी के तौर पर मानता है जब वैश्विक विकास दर 3% से कम है. 48 आईएमएफ का अनुमान है कि वैश्विक मंदियाँ आमतौर पर 8 से 10 वर्ष की अवधि के बाद आती हैं. आईएमएफ के अनुसार पिछले तीन दशकों की तीन वैश्विक मंदियों के दौरान, प्रति व्यक्ति वैश्विक उत्पादन में वृद्धि दर शून्य या नकारात्मक था.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि एक वैश्विक मंदी वैश्विक विकास दर को तीन प्रतिशत या उससे भी कम स्तर तक ले जायेगी. इस हिसाब से 1985 के बाद से चार अवधियों को इस योग्य माना जा सकता है: 1990-1993, 1998, 2001-2002 और 2008-2009.
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