Thursday 14 August 2014

भारत का ध्वज (Flag of India)


                                                                भारत का ध्वज (Flag of India)


भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी। इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था। इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं , जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात २:३ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ अरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थित स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है।

सरकारी झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है:

परिचय

अशोक चक्र
गांधी जी ने सबसे पहले 1921 में कांग्रेस के अपने झंडे की बात की थी। इस झंडे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। इसमें दो रंग थे लाल रंग हिन्दुओं के लिए और हरा रंग मुस्लिमों के लिए। बीच में एक चक्र था। बाद में इसमें अन्य धर्मो के लिए सफेद रंग जोड़ा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति से कुछ दिन पहले संविधान सभा ने राष्ट्रध्वज को संशोधित किया। इसमें चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली। इस नए झंडे की देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने फिर से व्याख्या की।

21 फीट गुणा 14 फीट के झंडे पूरे देश में केवल तीन किलों के ऊपर फहराए जाते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला उनमें से एक है। इसके अतरिक्त कर्नाटक का नारगुंड किले और महाराष्ट्र का पनहाला किले पर भी सबसे लम्बे झंडे को फहराया जाता है।

1951 में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने पहली बार राष्ट्रध्वज के लिए कुछ नियम तय किए। 1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए। ये नियम अत्यंत कड़े हैं। केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है । कपड़ा बुनने से लेकर झंडा बनने तक की प्रक्रिया में कई बार इसकी टेस्टिंग की जाती है। झंडा बनाने के लिए दो तरह की खादी का प्रयोग किया जाता है। एक वह खादी जिससे कपड़ा बनता है और दूसरा खादी-टाट। खादी के केवल कपास, रेशम और ऊन का प्रयोग किया जाता है। यहां तक की इसकी बुनाई भी सामन्य बुनाई से भिन्न होती है। ये बुनाई बेहद दुर्लभ होती है। इसे केवल पूरे देश के एक दर्जन से भी कम लोग जानते हैं। धारवाण के निकट गदग और कर्नाटक के बागलकोट में ही खादी की बुनाई की जाती है। जबकी '''हुबली''' एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जहां से झंडा उत्पादन व आपूर्ति की जाती है। बुनाई से लेकर बाजार में पहुंचने तक कई बार बीआईएस प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण होता है।बुनाई के बाद सामग्री को परीक्षण के लिए भेजा जाता है। कड़े गुणवत्ता परीक्षण के बाद उसे वापस कारखाने भेज दिया जाता है। इसके बाद उसे तीन रंगो में रंगा जाता है। केंद्र में अशोक चक्र को काढ़ा जाता है। उसके बाद इसे फिर परीक्षण के लिए भेजा जाता है। बीआईएस झंडे की जांच करता है इसके बाद ही इसे बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है।

                                                 तिरंगे का विकास

यह ध्वज भारत की स्वतंत्रता के संग्राम काल में निर्मित किया गया था। १८५७में स्वतंत्रता के पहले संग्राम के समय भारत राष्ट्र का ध्वज बनाने की योजना बनी थी, लेकिन वह आंदोलन असमय ही समाप्त हो गया था और उसके साथ ही वह योजना भी बीच में ही अटक गई थी। वर्तमान रूप में पहुंचने से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अनेक पड़ावों से गुजरा है। इस विकास में यह भारत में राजनैतिक विकास का परिचायक भी है। कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं :-

प्रथम चित्रित ध्वज १९०४ में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था।]७ अगस्त, १९०६ को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में इसे कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। ऊपर की ओर हरी पट्टी में आठ कमल थे और नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चाँद बनाए गए थे। बीच की पीली पट्टी पर वंदेमातरम् लिखा गया था।

द्वितीय ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और १९०७ में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। कुछ लोगों की मान्यता के अनुसार यह १९०५ में हुआ था। यह भी पहले ध्वज के समान था; सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल था, किंतु सात तारे सप्तऋषियों को दर्शाते थे। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

१९१७ में भारतीय राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान तृतीय चित्रित ध्वज को फहराया। इस ध्वज में ५ लाल और ४ हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्ततऋषि के अभिविन्यास में इस पर सात सितारे बने थे। ऊपरी किनारे पर बायीं ओर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।

कांग्रेस के सत्र बेजवाड़ा (वर्तमान विजयवाड़ा) में किया गया यहाँ आंध्र प्रदेश के एक युवक पिंगली वैंकैया ने एक झंडा बनाया (चौथा चित्र) और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्वं करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।

वर्ष १९३१ तिरंगे के इतिहास में एक स्मरणीय वर्ष है। तिरंगे ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया और इसे राष्ट्र-ध्वज के रूप में मान्यता मिली। यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। यह भी स्पष्ट रूप से बताया गया था कि इसका कोई साम्प्रदायिक महत्त्व नहीं था।

२२ जुलाई १९४७ को संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज बना।




Wednesday 13 August 2014

संवैधानिक धारा & अनुच्छेद



● भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं— 444


● भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में यह लिखा है कि भारत राज्यों का एक संघ होगा— अनुच्छेद-1


● किस अनुच्छेद में नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं— अनुच्छेद 12-35 

● किस अनुच्छेद में नागरिकता संबंधी प्रावधान है— अनुच्छेद 5-11

● नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थाओं में समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार को कौन-सा अनुच्छेद अधिकार प्रदान करता है— अनुच्छेद-16 

● संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य में नीति-निर्देशक तत्वों का उल्लेख है— अनुच्छेद 36-51 

● भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा वर्णित है— अनुच्छेद-39

● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है—अनुच्छेद-61 

● किस अनुच्छेद में मंत्रिगण सामूहिक रुप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं— अनुच्छेद-75

● महान्यायवादी की नियुक्ति किस अनुच्छेद के अंतर्गत की जाती है— अनुच्छेद-76 

● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति लोकसभा भंग कर सकता है— अनुच्छेद-85

● किस अनुच्छेद में संसद के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान है— अनुच्छेद-108 

● संविधान के किस अनुच्छेद में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है— अनुच्छेद-110 

● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करता है— अनुच्छेद-123 

● संविधान के किस अनुच्छेद में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश पर महाभियोग चलाया जा सकता है—अनुच्छेद-124

● राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकता है— अनुच्छेद-233

● किस अनुच्छेद के अंतर्गत केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियाँ है— अनुच्छेद-248

● किस अनुच्छेद में अंतर्राष्ट्रीय समझौते लागू करने के लिए शक्ति प्रदान की गई है— अनुच्छेद-253

● किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति वित्त आयोग का गठन करता है— अनुच्छेद-280 

● संपत्ति का अधिकार किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-300 (क) 


● संविधान के किस अनुच्छेद में संघ और राज्यों के लिए लोकसेवा आयोग का प्रावधान है—अनुच्छेद-315

● किस अनुच्छेद के अंतर्गत हिन्दी भाषा को राजकीय भाषा घोषित किया गया है— अनुच्छेद-343 (I)

● संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान है— अनुच्छेद-338 (A) 

● संसद को संविधान संशोधन का अधिकार किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-368 

● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत संविधान की प्रक्रिया का उल्लेख है— अनुच्छेद-356 

● संविधान के किस अनुच्छेद में ‘मंत्रिमंडल’ शब्द का प्रयोग संविधान में एक बार हुआ है—अनुच्छेद-352 

● जम्मू-कश्मीर को किस अनुच्छेद के अंतर्गत विशेष दर्जा प्राप्त है— अनुच्छेद-370

● अनुच्छेद-356 का संबंध किससे है— राष्ट्रपति शासन से 

● भारतीय संविधान में समानता का अधिकार पाँच अनुच्छेदों द्वारा प्रदान किया गया है, वे कौन-से हैं—अनुच्छेद-14-18

● संविधान के किस अनुच्छेद में मूल कर्तव्यों का उल्लेख है— अनुच्छेद-51 (क) 

● ‘भारत के नागरिक का कर्तव्य होगा प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार’ यह कथन किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-(A) 

● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य सरकार को ग्राम पंचायत के संगठन का निर्देश दिया गया है— अनुच्छेद-40

● वर्तमान में संविधान में कितनी अनुसूचियाँ हैं— 12

● संविधान की द्वितीय अनुसूची का संबंध किस से है— महत्वपूर्ण पद अधिकारियों के वेतन-भत्तों से 

● कौन-सी अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है— आठवीं अनुसूची 


● दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता संबंधी विवरण किस अनुसूची में है— 10वीं अनुसूची 

● संविधान की छठी अनुसूची किस राज्य में लागू नहीं होता है— मणिपुर 

● किस राज्य के आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में सम्मिलिति किया गया है— तमिलनाडु 

● भारतीय संविधान की कौन-सी अनुसूची राज्य में नामों की सूची तथा राज्य क्षेत्रों का ब्यौरा देती है—पहली अनुसूची 

● भारतीय संविधान में 9वीं अनुसूची परिवर्तित हुई— प्रथम संशोधन द्वारा 

● किस अनुच्छेद के अंतर्गत उपराष्ट्रपति पद की व्यवस्था है— अनुच्छेद-63

● वित्तीय आपात की घोषणा किस अनुच्छेद के अंतर्गत होती है— अनुच्छेद-360 

● राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का गठन किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया जाता है— अनुच्छेद-340 

● किस अनुसूची में केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे का वर्णन है— सातवीं अनुसूची में 

● समवर्ती सूची किस राज्य में संबंधित नहीं है— जम्मू-कश्मीर से 

● संविधान लागू होने के समय समवर्ती सूची में कितने विषय थे— 47 विषय 

● वर्तमान में राज्य सूची में कितने विषय हैं— 66 विषय 

● वर्तमान में संघ सूची में कितने विषय हैं— 97 विषय 

● किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा व मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है— छठीं अनुसूची में

भारतीय संविधान के संशोधन



● पहला संशोधन (1951) —इस संशोधन द्वारा नौवीं अनुसूची को शामिल किया गया।


● दूसरा संशोधन (1952) —संसद में राज्यों के प्रतिनिधित्व को निर्धारित किया गया।


● सातवां संशोधन (1956) —इस संशोधन द्वारा राज्यों का अ, ब, स और द वर्गों में विभाजन समाप्त कर उन्हें 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित क्षेत्रों में विभक्त कर दिया गया।


● दसवां संशोधन (1961) —दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल कर उन्हें संघीय क्षेत्र की स्थिति प्रदान की गई।


● 12वां संशोधन (1962) —गोवा, दमन और दीव का भारतीय संघ में एकीकरण किया गया।


● 13वां संशोधन (1962) —संविधान में एक नया अनुच्छेद 371 (अ) जोड़ा गया, जिसमें नागालैंड के प्रशासन के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए। 1दिसंबर, 1963 को नागालैंड को एक राज्य की स्थिति प्रदान कर दी गई।


● 14वां संशोधन (1963) —पांडिचेरी को संघ राज्य क्षेत्र के रूप में प्रथम अनुसूची में जोड़ा गया तथा इन संघ राज्य क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश, गोवा, दमन और दीव, पांडिचेरी और मणिपुर) में विधानसभाओं की स्थापना की व्यवस्था की गई।


● 21वां संशोधन (1967) —आठवीं अनुसूची में ‘सिंधी’ भाषा को जोड़ा गया।


● 22वां संशोधन (1968) —संसद को मेघालय को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करने तथा उसके लिए विधानमंडल और मंत्रिपरिषद का उपबंध करने की शक्ति प्रदान की गई।


● 24वां संशोधन (1971) —संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन का अधिकार दिया गया।


● 27वां संशोधन (1971) —उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के पाँच राज्यों तत्कालीन असम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर व त्रिपुरा तथा दो संघीय क्षेत्रों मिजोरम और अरुणालच प्रदेश का गठन किया गया तथा इनमें समन्वय और सहयोग के लिए एक ‘पूर्वोत्तर सीमांत परिषद्’ की स्थापना की गई।


● 31वां संशोधन (1974) —लोकसभा की अधिकतम सदंस्य संख्या 547 निश्चित की गई। इनमें से 545 निर्वाचित व 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे।


● 36वां संशोधन (1975) —सिक्किम को भारतीय संघ में संघ के 22वें राज्य के रूप में प्रवेश प्रदान किया गया।


● 37वां संशोधन (1975) —अरुणाचल प्रदेश में व्यवस्थापिका तथा मंत्रिपरिषद् की स्थापना की गई।


● 42वां संशोधन (1976) —इसे ‘लघु संविधान’ (Mini Constitution) की संज्ञा प्रदान की गई है।


—इसके द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए।
—इसके द्वारा अधिकारों के साथ-साथ कत्र्तव्यों की व्यवस्था करते हुए नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य निश्चित किए गए।
—लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि की गई।
—नीति-निर्देशक तत्वों में कुछ नवीन तत्व जोड़े गए।
—इसके द्वारा शिक्षा, नाप-तौल, वन और जंगली जानवर तथा पक्षियों की रक्षा, ये विषय राज्य सूची से निकालकर समवर्ती सूची में रख दिए गए।
—यह व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सकता है या देश के किसी एक या कुछ भागों के लिए।
—संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन को न्यायालय में चुनौती देने से वर्जित कर दिया गया।


● 44वां संशोधन (1978) —संपत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।
—लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गई।
—राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष्ज्ञ के चुनाव विवादों की सुनवाई का अधिकार पुनः सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय को ही दे दिया गया।
— मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को जो भी परामार्श दिया जाएगा, राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को उस पर दोबारा विचार करने लिए कह सकेंगे लेकिन पुनर्विचार के बाद मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को जो भी परामर्श देगा, राष्ट्रपति उस परामर्श को अनिवार्यतः स्वीकार करेंगे।
—‘व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ को शासन के द्वारा आपातकाल में भी स्थगित या सीमित नहीं किया जा सकता, आदि।


● 52वां संशोधन (1985) —इस संशेधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके द्वारा राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगाने की चेष्टा की गई है।


● 55वां संशोधन (1986) —अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ के अन्तर्गत राज्य की दर्जा प्रदान किया गया।


● 56वां संशोधन (1987) —इसमें गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा ‘दमन व दीव’ को नया संघीय क्षेत्र बनाने की व्यवस्था है।


● 61वां संशोधन (1989) —मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।


● 65वां संशोधन (1990) —‘अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग’ के गठन की व्यवस्था की गई।


● 69वां संशोधन (1991) —दिल्ली का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली’ किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान किया गया।




● 70वां संशोधन (1992) —दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल करने का प्रावधान किया गया।


● 71वां संशोधन (1992) —तीन और भाषाओं कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया।


● 73वां संशोधन (1992) —संविधान में एक नया भाग 9 तथा एक नई अनुसूची ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई और पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।


● 74वां संशोधन (1993) —संविधान में एक नया भाग 9क और एक नई अनुसूची 12वीं अनुसूची जोड़कर शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।


● 91वां संशोधन (2003) —इसमें दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन किया गया।


● 92वां संशोधन (2003) —इसमें आठवीं अनुसूची में चार और भाषाओं-मैथिली, डोगरी, बोडो और संथाली को जोड़ा गया।


● 93वां संशोधन (2005) —इसमें एससी/एसटी व ओबीसी बच्चों के लिए गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का प्रावधान किया गया।


● 97वां संशोधन (2011) —इसमें संविधान के भाग 9 में भाग 9ख जोड़ा गया और हर नागरिक को कोऑपरेटिव सोसाइटी के गठन का अधिकार दिया गया।

Tuesday 12 August 2014

भारत रत्न को मिलता क्या है?

                                        भारत रत्न को मिलता क्या है?

भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से सिर्फ़ एक प्रमाणपत्र और एक तमगा मिलता है.

इस सम्मान के साथ कोई रकम नहीं दी जाती.

इसे पाने वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं मुहैया कराते हैं. उदाहरण के तौर पर भारत रत्न पाने वालों को रेलवे की ओर से मुफ़्त यात्रा की सुविधा मिलती है.

भारत रत्न पाने वालों को अहम सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्यौता मिलता है.

सरकार वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है. जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है.

वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है.

राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं.

मसलन दिल्ली सरकार डीटीसी बसों में उन्हें मुफ़्त सफ़र करने की सुविधा देती है.

ये पुरस्कार पाने वाले अपने विज़िटिंग कार्ड पर यह लिख सकते हैं, 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता'.


Monday 11 August 2014

Currency



                                                                           Currency

डॉलर

डॉलर अमेरिका की ऑफिशल करंसी है। अमेरिका में 1 डॉलर में 100 सेंट होते हैं। 50 सेंट के सिक्के को आधा डॉलर कहा जाता है। 25 सेंट के सिक्के को क्वॉर्टर कहा जाता है। 10 सेंट के सिक्के को डाइम और 5 सेंट के सिक्के को निकल कहा जाता है।

वर्तमान कीमत

1 डॉलर = 61.24 रुपये (11 अगस्त 2014)


यूरो

यूरो यूरोपिय यूनियन के 28 में से 18 सदस्य देशों की करंसी है। डॉलर के बाद दुनिया की सबसे अधिक ट्रेड की जाने वाली करंसी है। इसके साथ ही यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रिजर्व करंसी भी है।

कीमत

1 यूरो = लगभग 81.69 रुपए

येन

येन जापान की ऑफिशल करंसी है। डॉलर और यूरो के बाद यह फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली तीसरी करंसी है।

कीमत

100 येन= 59.30 रुपए


पाउंड

पाउंड ब्रिटेन की ऑफिशल करंसी है। 1 पाउंड में 100 पेनी होते हैं। फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में डॉलर, यूरो और येन के बाद यह चौथी सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाली करंसी है।

कीमत

1 पाउंड = 102.30 रुपए



युआन

युआन चीन की ऑफिशल करंसी है। युआन के नोट 1 युआन से लेकर 100 युआन तक है।

कीमत

1 युआन = 9.85 रुपए 

Wednesday 6 August 2014

Data transfer speed world record (डाटा ट्रांसफर स्पीड का व‌र्ल्ड रिकॉर्ड)

                                  वैज्ञानिकों ने बनाया डाटा ट्रांसफर स्पीड का व‌र्ल्ड रिकॉर्ड

डेनमार्क के शोधकर्ताओंने रिकॉर्ड गति पर डाटा ट्रांसफर का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने सिंगल ऑप्टिकल फाइबर की मदद से 43 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति से डाटा ट्रांसफर किया।
टेक्निकल यूनिसर्विटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के शोधकर्ताओं ने इस रिकॉर्ड गति के लिए एक नए प्रकार के ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल किया है। शोधकर्ताओं ने 43 टेराबाइट की गति के साथ कार्लस्त्रह इंस्टीट्यूट फॉर टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
जर्मन शोधकर्ताओं की टीम ने इससे पहले 32 टेराबाइट प्रति सेकेंड की गति का रिकॉर्ड बनाया था। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए डाटा ट्रांसफर की गति को लेकर एक वैश्रि्वक प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में सालाना 40-50 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। इससे इंटरनेट पर डाटा प्रोसेसिंग का बोझ बढ़ा है और उसकी गति मंद पड़ती है या इंटरनेट जाम जैसे हालात कभी-कभी उत्पन्न हो जाते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके अतिरिक्त इंटरनेट में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा भी एक बड़ा प्रश्न है। मानव निर्मित कार्बन उत्सर्जन में इंटरनेट की हिस्सेदारी 2 फीसद है। इंटरनेट के प्रयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसी तकनीक को बढ़ावा देना जरूरी है जिससे गति को बढ़ाते हुए ऊर्जा की खपत को कम किया जा सके।