Saturday 4 January 2014

Leonardo da Vinci लिओनार्दो दा विंची

Leonardo da Vinci लिओनार्दो दा विंची

लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान् चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था।

लिओनार्दो दा विंची का जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रदेश के विंचि नामक ग्राम में हुआ था। इस ग्राम के नाम पर इनके कुल का नाम पड़ा। ये अवैध पुत्र थे। शारीरिक सुंदरता तथा स्फूर्ति के साथ साथ इनमें स्वभाव की मोहकता, व्यवहारकुशलता तथा बौद्धिक विषयों में प्रवीणता के गुण थे।

लेओनार्डो ने छोटी उम्र से ही विविध विषयों का अनुशीलन प्रारंभ किया, किंतु इनमें से संगीत, चित्रकारी और मूर्तिरचना प्रधान थे। इनके पिता ने इन्हें प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार तथा स्वर्णकार, आँद्रेआ देल वेरॉक्यो (Andrea del Verrochio), के पास काम सीखने की छत्रच्छाया में रहकर कार्य करते रहे और तत्पश्चात् मिलैन के रईस लुडोविको स्फॉत्र्सा (Ludovico Sforza) की सेवा में चले गए, जहाँ इनके विविध कार्यों में सैनिक इंजीनियरी तथा दरबार के भव्य समारोहों के संगठन भी सम्मिलित थे। यहाँ रहते हुए इन्होंने दो महान् कलाकृतियाँ, लुडोविको के पिता की घुड़सवार मूर्ति तथा "अंतिम व्यालू" (Last Supper) शीर्षक चित्र, पूरी कीं। लुडोविको के पतन के पश्चात्, सन् 1499 में, लेआनार्डो मिलैन छोड़कर फ्लोरेंस वापस आ गए, जहाँ इन्होंने अन्य कृतियों के सिवाय मॉना लिसा (Mona Lisa) शीर्षक चित्र तैयार किया। यह चित्र तथा ""अंतिम व्यालू"" नामक चित्र, इनकी महत्तम कृतियाँ मानी जाती हैं। सन् 1508 में फिर मिलैन वापस आकर, वहाँ के फरासीसी शासक के अधीन ये चित्रकारी, इंजीनियरी तथा दरबारी समारोहों की सज़ावट और आयोजनों की देखभाल का अपना पुराना काम करते रहे। सन् 1513 से 1516 तक रोम में रहने के पश्चात् इन्हें फ्रांस के राजा, फ्रैंसिस प्रथम, अपने देश ले गए और अंब्वाज़ (Amboise) के कोट में इनके रहने का प्रबंध कर दिया। यहीं इनकी मृत्यु हुई।

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